सेक्स गे कहानी एक ज्योतिषी और लड़के की: 2
समलैंगिक सेक्स स्टोरी: मैं उस रात वापस आ गया लेकिन मन मैं कई सवाल उठ रहे थे। आखिर कौन सी विधि करेंगे, कही मैं कुछ गलत लफड़े मैं तो नही फंस गया, और मुझे नई चड्डी क्यों लाने को कहा।
दो दिन इन सवालों ने मुझे बोहोत परेशान किया पर उसके साथ साथ उनसे मिलने का रोमांच भी था। मैं दिन मैं कई बार उनके बारे मैं सोच कर गांड़ मैं उंगली करता था। गांड़ टाइट होने की वजह से तेल लगा के भी बस एक ही उंगली अंदर जाति थी। मैं बस उस पल के इंतजार मैं था जब मैं उस मरदाने जानवर से फिर मिलूंगा।
2 दिन के लंबे इंतजार के बाद वो घड़ी आ ही गई। मैं शाम को नहा के, अच्छे कपड़े पहन के और बैग मैं एक नई चड्डी रख के निकल गया उस पते पे जो उन्होंने मुझे दिया था। शाम ढल गई थी और चांदनी रात पूरे शहर को शांति की आगोश मैं खीच रही थी।
जैसे जैसे मैं बताए पते के पास पोहोच रहा था वैसे वैसे घरों के बीच की दूरी बढ़ रही थी। ये घर शहर से एकदम बाहर था। जब मैं घर पोहोचा तो पाया की एक बड़े से प्लॉट पे ये घर था और काफी दूर एक दूसरे घर से रोशनी दिख रही थी। उसके अलावा बिल्कुल सन्नाटा। मानो किसी भूतिया फिल्म का सेट हो।
अपनी घबराहट को काबू कर मैंने घंटी बजाई और चंद मिनटों बाद दरवाजा खुला। दरवाजा खुलते मेरे डर गायब और मेरी ठरक मेरे दिमाग पर काबू कर लिया। सामने चट्टान सा बालों से भरे जंगल वाला मर्द खड़ा था। मुझे अपनी किस्मत पे यकीन नही हो रहा था की मुझे मेरी कल्पना से भी जबरदस्त मर्द के साथ समय बिताने का मौका मिल रहा था।
उन्होंने मुस्कुराए हुईरा स्वागत किया। उनकी भारी आवाज मुझे चौका दी। वो पूछे “घर ढूंढ़ने मैं कोई तकलीफ तो नही हुई?”
उनकी आवाज से मेरे रोम रोम मैं शर्म का करेंट दौड़ उठा। मैं बस नजर झुकाए सर धीरे से हिला दिया। वो हस पड़े और अपना भरी सा हाथ मेरे कंधे पे रख मुझे अंदर खीच लिया और दरवाजा बंद कर लिया। अब लोगों से दूर एक बंद घर मैं बस मैं और मेरे सपनो का राजा थे।
उन्होंने बताया की विधि चालू करने मैं थोड़ा टाइम है। फिर वो मुझसे बात करने लगे और मेरे बारे में पूछने लगे। अच्छा लग रहा था। मुझसे सबर नही हुआ और मैंने पूछ लिया कि ये क्या विधि है। वो जीबी सोच मैं गए और बोले “देखो मैं अक्सर ये लोगों के लिए करता नही हूं पर तुम्हे देख के महसूस हुआ की तुम्हे इस विधि की जरूरत है।
समय आने पर तुम जान जाओगे। अभी के लिए बस इतना बता सकता हूं की विधि 2 हिस्सों मैं होगी। पहला हिस्सा खतम होने पर तुम्हारे पास विकल्प होगा के तुम अगला हिस्सा करना चाहते हो या नहीं।”
ये सुन के मैं पहले से और ज्यादा सोच मैं पड़ गया।
कुछ समय बीता और अब आधी रात होने ही वाली थी। वो मुझेसे बोले की छत पर चलते हैं विधि का समय आ गया है। वो ऊपर बढ़े और उनके पीछे मैं। हवा मैं हल्की सी ठंडक थी और चारों ओर सन्नाटा। छत पर उन्होंने एक गोला बनाया हुआ था, कुछ कटोरियों मैं समान थे और एक झुकी हुई टेबल रखी थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
वो मेरे पास आए और मुझे कंधों से पकड़ कर अपनी तरफ मोड़ा। चांदनी रात मैं वो और बोहोत खूबसूरत लग रहे थे। वो बोले “भरोसा रखो मुझपे” और एक बार फिर मैं पिघल गया।
वो अपना कुर्ता उतार और उनकी बालों भरी छाती को मैं पहली बार अच्छे से देख पाया। चौड़ा फूला हुआ सीना जिसपे घने बाल। गले से टंगी रुद्राक्ष की माला और बड़े बड़े एकदम काले निप्पल। ये देख मेरी जीभ मैं पानी आ गया। काश मैं।उनकी मर्दानगी अपने मुंह से चख पाऊं। वो पूरे छत पर घूम के कुछ जाप कर रहे थे।
फिर मेरी तरफ मुड़े और मैंने झट से अपनी नजर फेर ली। शायद उन्हें आभास हो गया था की मैं उन्हें ताड़ रहा था। वो हल्का सा हासे और बोले” तुम अपने कपड़े उतार कर इस गोले के अंदर बैठ जाओ। मैं हिचकिचाया पर उनकी आज्ञा का पालन किया। शर्ट उतारने पे मेरे गोरे बदन से चांदनी टपक रही थी।
हवा की ठंडक से मेरे गुलाबी निप्पल टाइट हो के खड़े हो गए थे। मैंने पैंट उतारी तो मेरी गांड़ किसी पिंजरे से छूटे जानवर की तरह उछाल के बाहर आ गई और जेली की तरह डोलने लगी। जब मैं ये कर के मुड़ा तो देखा कि अब ज्योतिष जी मुझे ताड़ रहे थे। उनकी आखों से हवस टपक रही थी। मानो रेगिस्तान मैं किसी भटके आदमी के सामने एक तालाब आ गया हो। मैंने शरमते हुए पूछा “अब?”
वो बोले “इस गोले के अंदर बैठ जाओ”
मैं बैठ गया। वो मेरे सामने आ कर खड़े हुए और उन्होंने अब अपनी धोती हटा दी। अब वो बस अपनी लंगोट मैं थे। उनकी लंगोट के अंदर उनका बड़ा भारी लन्ड था जो लंगोट को नीचे की तरफ धकेल रहा था और झाट के बालों से घिरा हुआ था। मेरा लन्ड ये देख के बोहोत टाइट हो गया था। वो देख न लें इसलिए मैं अपने हाथ अपने लन्ड के ऊपर रख छुपा रहा था।
फिर वो गोले मैं आ कर मेरे सामने बैठ गए और बोले “अब विधि प्रारंभ होती है। मैं तुम्हारे शरीर पे चंदन का लेप लगाऊंगा, फिर तुम्हारे तिलो पे केसर का टीका और फिर तुम्हारे अंदर के रोग को चूस बाहर निकालूंगा।”
ये सब सुन के मैं बोहोत उत्तेजित हो रहा था पर अपने आप को काबू मैं रख रहा था।
उन्होंने एक कटोरी उठाई और मेरे पैरों पे चंदन लेप लगाने लगे। फिर मेरे हाथों पे। उसके बाद उन्होनें मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरे पीठ पे लगाने लगे। मेरा सीना उनके सीने के इतने करीब था के उनके बाल मुझे छू रहे थे।
पीठ पे लेप लगाएं हुए वो नीचे की तरफ बढ़े और मेरी चड्डी के अंदर हाथ डाल मेरी गांड़ को दोनो हाथों से रगड़ने लगे। उनमें इतनी जान थी की वो हाथों के बल मुझे हवा मैं उठा के मेरी गांड़ अच्छे से मल रहे थे। मेरी सांस भरी हो गई थी और मैं खुशी मैं अपनी गांड़ उच्चका रहा था। फिर उन्होंने कहा घूम जाओ।
मैं दूसरी ओर घूम गया। उन्होंने मेरी कमर पकड़ के मुझे अपने पास इतनी जोर से खींचा की मैं उनकी गोद मैं पोहौच गया। मेरी गांड़ के नीचे मैं उनके आधे कड़े लन्ड महसूस कर पा रहा था जो थोड़े थोड़े झटके ले रहा था। मेरी पीठ उनकी छाती से चिपक गई थी और उनके गरम सांस मेरे गले और कान पे पड़ रही थी और उनकी मूछ रगड़ रही थी।
मेरा लन्ड अब छुपाए नहीं छुप रहा था और चड्डी से बाहर आने लगा था। उन्होंने लेप ले कर मेरी कमर पे लगाना चालू किया। फिर मेरे पेट पे हाथ फेर के ऊपर आने लगे। मेरी छाती को अपने बलशाली हाथों से दबा रहे थे। मेरे निप्पल सेंसिटिव है तो मेरी आह निकल रही थी।
शायद इसकी वजह से उनको और मज़ा आने लगा और वो मेरे निप्पल और जोर से रगड़ने लगे। फिर वो उन्हें अपनी उंगलियों से दबाने लगे अरेरा पूरा शरीर कांप उठा। मैं आवाज नही निकल रहा था तो मेरे कान मैं बोले “यहां दूर दूर तक कोई नही है जो तेरी चीख सुने। निकाल दे अपनी अंदर की रण्डी को बाहर।”
उनके ये बोलते ही ना जाने मेरे अंदर क्या हुआ और मेरी चीख निकल गई। मेरा पूरा बदन हवा मैं ऊपर हो के फिर नीचे उनके शरीर से रगड़ रहा था।
अब वो भी जोश मैं आ कर और जोर से दबाने लगे। “आ बहन की लोड़ी। बाहर आ। दिखा अपना असली रूप।”
ये बोल के वो एक हाथ मेरी चड्डी के अंदर डाल के लेप मेरे लन्ड पे लगाने लगे। मुझे भरोसा नही हो रहा था की मेरा दिली सपना पूरा हो रहा है। अब उनका मोटा लन्ड भी मेरी गांड़ के नीचे बढ़ता महसूस हो रहा था।
मेरे छेद और उनके लन्ड के बीच बस 2 पतले कपड़े थे। वो मुझे पीछे से पकड़ के लेट गए और मैं उनके ऊपर उल्टा लेटा हुआ था।मेरा पूरा शरीर पानी से निकली मछली की तरह चटपटा रहा था पर उनका एक हाथ मेरे लन्ड को पकड़ के मुझे काबू मैं किया हुआ था। दूसरे हाथ से वो मेरे तिल पे केसर का टीका लगाना चालू कर दिया।
मेरे हाथ पांव छाती और गांड़ पे कब उन्होंने लगा दिया मुझे पता भी नहीं चला। फिर वो मुझे छोड़ कर मेरे ऊपर आ गए और बोले “अब तेरे अंदर के दोष को मैं चूस निकालूंगा।” ये बोल के वो मेरे पैर के तिल को चाटे और चूसने लगे, फिर हाथ।
छाती का तिल मेरे निप्पल के पास था और इससे वो बोहोत खुश हुए। उन्होंने जानवर की तरह मेरे बोबे दोनो हाथो से दबाए और जालिमों की तरह मेरे निप्पल चूसने लगे। मैं जोर जोर से मोन कर रहा था पर उन्हें ये मसूर ना था। वो मेरे निप्पल दांत से कटने लगे।
मैं जोर से चिल्लाया और उनके बाल पकड़ के उनका सर खींचने लगा। मानो उन्हें इसी का इंतजार था। वो और जोर से मुझे कटने लगे और अब मेरा दर्द मजे मैं बदल गया। वो ऊपर आए और अब उनका पूरा शरीर मेरे ऊपर था और उनके होठ मेरे होठ से बस कुछ इंच दूर। मेरी आंखों मै आखें डाल वो पूछे “नई चड्डी लाया है ना?”
मैंने हामी भरी और उसे पल वो मुझे चूमने लगे और उनकी जीभ मेरे मुंह के हर कोने को अपना बना ली। मेरे होठ तो उनके मुंह मैं समा ही गए। उनकी थूक मेरे पूरे चेहरे को गीला कर दी। और उसका टेस्ट इतना मस्त की उससे दूर होने का मन ही नही हो रहा था।
समलैंगिक सेक्स स्टोरी एक ठर्की ज्योतिष के साथ
मुझे चूमते हुए उनके हाथ मेरी गांड़ पर पोहोचे और कुछ समय ले के उन्होंने अपने हाथ से मेरी चड्डी फाड़ दी और फेंक दी। मुझे इस समय एहसास हुआ की अब मैं पूरा नंगा पड़ा हूं। उन्होंने मेरी टांग हवा मैं उठाई जिससे मेरी गांड़ आसमान की ओर हो गई और वो मेरी गांड़ चाटने लगे। ऐसा मैंने कभी महसूस नहीं किया था और मैं खुशी समा नही पा रहा था।
बोहोत देर मेरा पूरा बदन चाटने के बाद वो रुक गए।
मुझे समझ नही आया कि ये क्या हुआ। मैं बैठ के उनकी और देखने लगा।
वो गंभीर आवाज मैं बोले “विधि का पहले हिस्सा पूरा हो गया है। इससे तेरी तकलीफ कम हो जाएंगी। अब दूसरी विधि का समय आ गया है तो तेरी तकलीफ खतम ही कर देगा पर अब तुझे चुनना है की तू दूसरा हिस्सा करना चाहता है या नही?”
मैं बस बाबा को अपने ऊपर महसूस करना चाहता था और मैंने बोल दिया “हां बाबा। मैं तैयार हूं। आप बस बताओ क्या करना होगा”
उनकी गहरी आंखे मेरी आंखों मै लॉक थी और वो बोले “तुझे मेरी रण्डी बनना पड़ेगा।”
To be continued…
पहले पार्ट को इतना प्यार देने के लिया धन्यवाद। इसका अगला पार्ट भी जल्द ही लिखूंगा।
तब तक के लिए कोई भी टिप्पणी या सुझाव के लिए मुझे ईमेल करें [email protected]