हिंदी समलैंगिक कहानी पापा के दोस्त से गांड मराई की
हिंदी समलैंगिक कहानी: हेलो दोस्तों, मेरा नाम अविनाश शर्मा है और मैं भोपाल का रहने वाला हूँ। मैं 19 साल का हूँ, हाइट 5’6, पतला शरीर और चेहरे से सामान्य दिखता हूँ। इस साइट पर यह मेरी पहली कहानी है इसलिए आप अपने विचार ज़रूर व्यक्त करें।
यह कहानी पिछले साल अप्रैल के महीने की है। हुआ यूँ की मैं अपने मम्मी पापा के साथ एक शादी में इंदौर गया था, और हमें वहां 3 दिन रुकना था। असल में शादी का कार्यक्रम तो 2 ही दिन का था और तीसरे दिन हम वहां मेरे पापा के साथ काम करने वाले एक अंकल के यहाँ रुकने वाले थे।
वो अंकल मेरे पापा से काफी कम उम्र के थे और उनकी शादी को भी ज़्यादा समय नहीं हुआ था। मैं उनसे बहुत पहले मिला था पर यह मुझे ठीक से याद नहीं। खैर कहानी पे वापस आते हैं। शादी की रात को ही अचानक पापा को किसी काम से अर्जेंट घर जाना पड़ गया, हमारी ट्रेन तो अगले दिन थी, तो पापा के कहने मैं अपनी मम्मी के साथ वहीँ रुक गया और पापा वापस भोपाल आ गए।
अंकल हमें लेने आये, उनकी उम्र के हिसाब से वो काफी फिट एंड हैंडसम थे। उनका बदन कसरती था जो की उनके कपड़ों से साफ़ दिख रहा था। पर मैं बचपन से शर्मीला रहा हूँ तो मैंने इस बारे में ज़्यादा नहीं सोचा पर फिर भी कहीं न कहीं वो मुझे पसंद थे। उनके घर पहुंचने के बाद अंकल अपनी ड्यूटी पे चले गए और हमने नाश्ता वगेरह किया।
दोपहर को आंटी ने मम्मी से मार्किट चलने की कहा तो मम्मी ने मुझसे पूछा की मुझे घर पे अकेले रहने में कोई दिक्कत तो नहीं ! तभी आंटी ने बताया कि अंकल आज दोपहर में घर आ जायेंगे तो मैं अकेला नहीं रहूँगा। फिर वो दोनों बाज़ार चले गए और मैं बैठ के टीवी देखने लगा। तभी घंटी बजी, मैंने गेट खोला तो अंकल पसीने से लथपथ खड़े थे।
वो अंदर आये और मैंने उन्हें पानी दिया उन्हों कहा कि बहार तो बहुत गर्मी है और वो नहाने जा रहे हैं। उन्होंने मुझसे पूछा की तुमने नहाया या नहीं। तो मैंने कहा कि अभी नहीं। तो उन्होंने कहा कि अपने कपडे लेलो, साथ में नहाते हैं। पहले तो मुझे शर्म आयी और मैंने टालने की कोशिश की पर वो नहीं माने।
अब हम दोनों बस अंडरवियर में थे। उनकी मांसल जाँघे और चड्डी का उभार देख के मुझे कुछ होने लगा। मैंने दूसरी तरफ नज़र करली पर वो ये पहले ही देख चुके थे। नहाते नहाते अचानक से मेरी ढीली अंडरवियर खिसक गयी और मेरी नरम मुलायम गांड सीधे अंकल को दिख गयी। मैंने खुद को जल्दी से संभाला, पर अंकल को पता नहीं क्या हुआ।
2 मिनट बाद वो मेरे पास आये और कहा कि तुम्हारा हाथ पीठ पर नहीं पहुच पायेगा लाओ मैं साबुन लगा दूँ। उन्होंने मुझे अपनी गोद में बिठाया, मैं कुछ नहीं बोला। उन्होंने साबुन लिया और मेरी पीठ पर पर लगाने लगे, पीठ से होते हुए उनके हाथ मेरी गांड पर आ गए। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और मेरी आँखें बंद हो गयी।
उनका लंड अब खड़ा होके मेरी गांड के छेद पे हिलोरे मार रहा था। मैंने कहा कि अंकल कुछ चुभ रहा है तो उन्होंने कहा कि इसे अंदर लेलो तो नहीं चुभेगा। अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे हो चुके थे और वो साबुन से मेरी गांड में ऊँगली कर रहे थे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
फिर उन्होंने लेजम से पानी मेरी गांड में डाला और अच्छे से साफ़ करके अपनी जीभ से चाटने लगे, अब तो मेरी हालात खराब हो चुकी थी, वो एहसास शब्दों में नहीं बताया जा सकता। फिर उन्होंने मुझसे अपनी पूरी बॉडी चटवाई, उनके आर्मपिट्स की मर्दाना खुशबू में जैसे खो गया, उनके निप्पल्स बहुत जूसी ओर कड़क थे।
आखिर मैं उनके लंड तक पहुंचा और प्यार से उसे किस किया, और मुँह में लेके लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा, फिर उन्होंने सरसों का तेल लिया और मेरी गांड और अपने लंड पे लगाया और मुझे घोड़ी बना दिया। मैंने पहले भी लंड लिए हैं पर अंकल का लंड सबसे बड़ा था, मेरी हालात खराब हो गयी।
पर उन्होंने आराम से प्यार से डाला और चुदाई शुरु। मेरी आँखों में आंसू थे पर बहुत मज़ा आ रहा था। अंकल ने बताया कि उनकी बीवी कल ही मायके से आयी थी और बहुत समय से उन्होने सेक्स नहीं किया।
पापा के दोस्त संग नहाते हुए गांड मराने की हिंदी समलैंगिक कहानी!
हम दोनों चुदाई मैं खोए हुए थे, उन्होंने मुझे अलग अलग पोजीशन में 45 मिनट तक चोदा और अंत में परम सीमा पर पहंच कर, उनके धक्के किसी सांड जैसे तेज़ हो गए, मैंने कहा कि मेरी गांड के अंदर ही छोड़ो और मुझे प्रेग्नेंट करदो, उनका गरम गरम माल मेरी गांड में जैसे ही उतरा, मेरी गांड को ठंडक मिल गयी।
वो मेरे ऊपर से हट गए। फिर हम दोनों ने नहाया और एक दूसरे को साफ़ किया। उन्होंने मुझे चुपचाप ₹1000 भी दिए। तब तक आंटी और मम्मी वापस आ गए और अगले दिन हम अपने घर भोपाल वापस चले गए। वो अंकल हमारे घर एक बार और आये थे।
वो हिंदी समलैंगिक कहानी तब लिखूंगा जब आप अपने विचार और आपको यह कहानी कैसी लगी मेरी ईमेल पे भेजेंगे। साथ ही आप मेरे साथ क्या क्या करना चाहते हैं वो भी लिख के ज़रूर भेजें [email protected]