ट्रेन में पहला लण्ड चूसने की हिंदी समलैंगिक कहानी

ट्रेन में पहला लण्ड चूसने की हिंदी समलैंगिक कहानी

हिंदी समलैंगिक कहानी: हेलो दोस्तो । मैं मनीष अपनी कहानी लेकर आया हु । मैं पहली बार अपनी कहानी लिख रहा हु । कोई गलती होने पर मुझे माफ़ करियेगा।…

‌मेरी उम्र अभी 24 साल है । यू तो मैं लड़कियों में ही दिलचस्पी रखता हूं पर उस दिन के बाद मेरी ज़िंदगी मे काफी कुछ बदल गया । बात कुछ साल पहले की है जब मेरा कॉलेज में दाखिला हुआ तब मैं 19 साल का था ।

चुकी मेरा घर भिलाई में था और मैं भोपाल में पढ़ाई कर रहा था तब ट्रैन से आना जाना सबसे सही रास्ता था । मैं दिवाली मनाने घर आया हुआ था और वहां से वापसी के लिए ट्रैन की टिकट ली हुई थी पर त्योहार के समय वेटिंग की टिकट क्लियर नही हो पाई । मजबूरन मुझे वेटिंग में सफर करना पड़ा ।

मैं ट्रैन में जैसे तैसे बैठा दीवाली निकले 2-3 दिन हो गए थे तो कम से कम मुझे दरवाज़े के पास की जगह खाली मिल गयी । मैने अपना सामान एक सीट के नीचे रख दिया और दरवाज़े के पास खड़ा हो गया । कुछ समय बाद टी.टी. आया मैं उनके पास गया वो दूसरो की टिकट चेक कर रहा था ।

मैं उनसे मिन्नत करने लगा कोई सीट दे दीजिए भले थोड़ी दूर के लिए ही सही पर उसने साफ मना कर दिया । पास में ही कुछ 45-50 के उम्र के एक अंकल मुझे देख रहे थे वो दिखने में थोड़े मोटे जरूर थे पर उनका शरीर मर्दाना था । बड़ी मुछे, बलिष्ट हाथ, चौड़े कंधे । हम एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए , उन्होंने कहा त्योहार का समय ऐसा ही रहता है ।

मैंने भी हा कहा थोड़ी बातचीत करके वापस दरवाज़े के पास आ गया और ईरफ़ोन में गाने सुनने लगा । मैं सफर के समय टी शर्ट और लोअर पहनना पसंद करता हु बड़े ही आरामदायक होते है । तभी मेरी कमर पर किसी ने हाथ रख मैं कुछ देर के लिए चौक गया पीछे पलटकर देखा तो वही अंकल थे उन्होंने पूछा क्या कर रहे हो यहां ।

कमर पर हाथ रखना अजीब तो लगा पर मैंने सामान्य तरीके से कहा कुछ नही गाने सुन रहा हु । उन्होंने कहा मेरे सीट पर आजाओ मेरी सीट नीचे वाली है । मैं उनके साथ जाकर बैठ गया । रात का समय था हुम् बाते कर रहे थे वो बात करते हुए मेरी जांघो में हाथ रख देते । ये सब अजीब तो लग रहा था पर पूरे शरीर मे झुनझुनी भी छूट रही थी । फिर उन्होंने कंधे में हाथ रख कर कहा लेट जाओ आराम से ।

हम एक ही सीट पर लेट गए । मेरा सिर उनके पैर की तरफ और उनका सिर मेरी पैर के तरफ था । मैंने अपनी पीठ अंकल की तरफ की हुई थी । 30-40 मिनट बाद कुछ मेरी पाव से गांड की तरफ जाता हुआ महसूस हुआ । वो अपने हाथों से मेरी जंघे सहला रहे थे और लोअर के ऊपर से ही मेरी गांड पकड़ने की कोशिश करने लगे ।

मुझे मज़े आने लगे थे मेरा लंड तन कर तम्बू बन गया था । रात में समय बोगी में अंधेरा था और अंकल ने मेरा विरोध नही देखते हुए चादर निकाल कर मेरे सर के तरफ सर करके लेट गए । चादर हम दोनो को ओढा दिया । हमारी उम्र बाप बेटे जैसे थी तो लोगो को शक भी नही हुआ । ये सब मेरे लिए एकदम नया था मैं बिल्कुल बूत जैसा जस का तस लेटा था ।

वो धीरे धीरे मेरी गांड सहलाते रहे और ऊपर से ही गांड की दरार में हाथ डालते रहे । मेरा लंड उत्तेजनावश एक दो बूंदे वीर्य के बाहर निकाल दिया । उनकी गर्म सांसे मेरे गले मे आ रही थी मैने अपनी आँखें बंद कर ली , उनके वो लाल रसीले होठ मेरे गले आकर चुम्बन देने लगे साथ मे ही उनका एक हाथ मेरे लोअर के अंदर चला गया और गांड जोर जोर से दबाने लगे ।

मेरे मुंह से हल्की सी सिसकारी निकल गयी उन्होंने तुरंत ही मेरे मुंह को बंद किया और कान में आकर मादक तरीके से कहा शशशश……. और मेरे कानों को अपने मुंह मे भर लिया और प्यार से चूसने लगे इस अचानक हुए हमले से मैं कापने लगा इतना सुंदर एहसास मुझे कभी नह हुआ था ।

हम दोनों ही हवस में डूब चुके थे अब वो पूरे मुझसे सटकर अपने कमर चलाने लगे उनका लंड मुझे अपने गांड में महसूस होने लगा । ट्रैन में कुछ कर पाना मुश्किल था तो उन्होंने कहा तुम बाथरूम जाओ मैं आता हूं थोड़ी देर में । मैं वहा जाकर उनका इंतजार करने लगा । थोड़ी देर में वो आये आते ही मेरे होंठों को चूसने लगे चूसते चूसते वो काट भी देते थे ।

मुझे ये बात उनकी पसंद आने लगी। उन्होंने अपनी पैंट उतारी और मेरा सिर नीचे ले जाने लगे नीचे जाने के बाद मैंने देखा चड्डी तो तम्बू बानी हुई है और वो थोडी गीली भी है । मुझे समझ आ गया जब मुझे रगड़ रहे थे तभी ये गीलापन बाहर गया होगा । मैने बिना देरी किये उनकी चड्डी नीचे की तो 7 इंच का मोटा काला लौड़ा बाहर आ गया ।

उस लौड़े से हल्के पसीने और वीर्य की खुशबू आ रही थी । मैं उसे देख कर हैरान था इतना बड़ा मेरा तो 5 इंच का ही है वो भी पतला । मैं देख ही रहा था कि उनसे रहा नही गया और कहा “गांडू चूस भी ले और कितना तड़पाएगा” । मैंने उनकी तरफ संकोच भरी निगाहों से देखा क्योंकि मैंने कभी चूसा नही था ।

वो जबर्दसरी मेरा सर लंड की तरफ ले जाने लगे मैने सर पीछे करने की नाकाम कोशिश की । मेरे मुंह मे ही अपना लंड रगड़ने लगे । अब मुझे उस गंध से प्यार होने लग गया था । थोडी देर के बाद उन्होंने बोलै “मुह खोल” मैं बिल्कुल बच्चो की तरह मुह खोल लिया । मुह खोलते ही उन्होंने अपना लंड मेरे मुह में डाल दिया मैं घु घु घु करने लगा।

ट्रेन के एक सफर के दौरान घटी एक गर्मागर्म दास्तान!

वो धीरे धीरे मेरे मुह में धक्के लगाने लगे मुझे बीच मे उल्टी जैसे आ जाती थी पर उन्हें इससे कोई फर्क नही पड़ा । धक्के अचानक तेज होने लगे पूरा लंड बाहर निकल कर जड़ तक वापस डालने लगे । ऐसा 5-10 मिनट तक करने के बाद वो कांपने लगे और लंड बाहर निकाल लिया और ब्लू फिल्मो की तरह मेरे चेहरे पर पूरा वीर्य की पिचकारी मार दी और लंड से ही पूरे वीर्य को मेरे चेहरे पर फैलाने लगे ।

फिर उन्होंने पूरा लंड चाट चाट कर साफ करवाया और चुपके से बाहर आगये मैं भी साफ करके बाहर आया और सीट पर सो गया । सुबह दोनो ने नंबर एक्सचेंज किये और अपने अपने स्टेशनों पर उतर गए ।

‌आपको मेरी कहानी कैसे लगी मुझे जरूर बताएं ।
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