Gay sex stories Hindi – दोस्त के चाचा , भांजा और भाई की गांड मराई 2
Gay sex stories Hindi – दोस्त के चाचा , भांजा और भाई की गांड मराई 2
सुपाड़े की साइज़ देखकर वो बहुत हैरान हो गया।
” कहाँ छुपा रखा था इतने दिन ? ऐसा तो मैंने अपनी ज़िन्दगी मैं नहीं देखा है” उसने पूछा।
मैने कहा, “यहीं तो था तुम्हारे सामने लेकिन तुमने ध्यान नही दिया। यदि आप ट्रेन में गहरी नींद नहीं होते तो शायद आप देख लेते क्योंकि ट्रेन में रात को मेरा सुपढ़ा आप की गांड को रगड़ रहा था।”
चाचा बोला “मुझे क्या पता था कि तेरा इतना बड़ा लौरा होगा! मैं सोच भी नही सकता था।”
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मुझे उसके बिंदास बोलों पर आश्चर्य हुआ जब उसने “लौरा” कहा और साथ ही बड़ा मज़ा आया। वो मेरे लंड को अपने हाथ मे लेकर चेक कर रहा था और कस कर दबा रहा था। फिर चाचा ने अपना लुंगी अपनी कमर के ऊपर उठा लिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी जाँघों के बीच लेकर रगड़ने लगा। वो मेरी तरफ़ करवट लेकर लेट गया ताकि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सके। उसका लंड मेरे मुंह के बिलकुल पास था और मैं उसे कस कस कर दबा रहा था। अचानक उसने अपना लंड मेरे मुंह मे ठेलते हुए कहा, “चूसो इसको मुंह मे लेकर।” मैने उसका लंड अपने मुंह मे भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा।
थोड़ी देर के लिये मैने उसके लंड को मुंह से निकाला और बोला, “मैं तुम्हारे पजामे मे छुपे लंड को देखता था और हैरान होता था। इसको छूने की बहुत इच्छा होती था और दिल करता था की इसे मुंह मे लेकर चूसूं और इनका रस पियूं । पर डरता था पता नही तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाराज़ ना हो जाओ। तुम नही जानते कि तुमने मुझे और मेरे लंड को कल रात से कितना परेशान किया है”
“अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो; मैं तो आज तुम्हारा हूँ. जैसा चाहे वैसा ही करो” चाचा ने कहा।
फिर क्या था, चाचा की हरी झंडी पकड़ मैं टूट पड़ा चाचा के लंड पर।
मेरी जीभ उसके कड़े सुपाडे को महसुस कर रही थी। मैने अपनी जीभ चाचा के उठे हुए कड़े सुपाडे पर घुमाई। मैं ऐसे कस कर लंड को दबा रहा था जैसे उसका पूरा का पूरा रस निचोड़ लूँगा । चाचा भी पूरा साथ दे रहा था। उसके मुंह से “ओह! ओह! अह! सि सि, की आवाज़ निकाल रही थी। मुझसे पूरी तरफ़ से सटे हुए वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रहा था और मरोड़ रहा था। उसने अपनी बायीं टांग को मेरे दायीं टांग के ऊपर चढ़ा दिया और मेरे लंड को को अपनी जाँघों के बीच रख लिया। मुझे उसकी जाँघों के बीच एक मुलायम एहसास हुआ। यह उसकी गांड थी । मेरा लंड का सुपाड़ा उसके झांटों मे घूम रहा था। मेरा सब्र का बाँध टूट रहा था। मैं चाचा से बोला, “मुझे कुछ हो रहा और मैं अपने आपे मे नही हूँ, प्लीज मुझे बताओ मैं क्या करूँ”
चाचा बोला, “तुमने कभी किसी को चोदा है आज तक?”
मैने बोला, “नही।”
“कितने दुख की बात है। कोई भी लौंडा इस्से देखकर कैसे मना कर सकता है।”
मैं चुपचाप उसके चेहरे को देखते हुए लंड मसलता रहा। उसने अपना मुंह मेरे मुंह से बिलकुल सटा दिया और फुसफुसा कर
बोला, “अपनी दोस्त के चाचा को चोदोगे?”
“क्कक क्यों नही” मैं बड़ी मुश्किल से कह पाया। मेरा गला सूख रहा था। वो मुस्कुरा दिया और मेरे लंड को आजाद करते
हुए बोला, “ठीक है, लगता है इस अनाड़ी को मुझे ही सब कुछ सिखाना पड़ेगा। चलो अपनी लुंगी निकाल कर पूरे नंगे हो जाओ।” मैने अपनी लुंगी खोल कर साइड में फेक दिया। मैं अपने तने हुए लंड को लेकर नंग धड़ंग चाचा के सामने खड़ा था। “तुम भी इसे उतार कर नंगे हो जाओ” कहते हुए मैने उसकी लुंगी को खींचा। चाचा ने अपने चूतड़ ऊपर कर दिया जिससे की लुंगी उसकी टांगों से उतर कर अलग हो गई । अब वो पूरी तरह नंगा हो कर मेरे सामने पड़ा हुआ था। उसने अपनी टांगों को फ़ैला दिया और मुझे रेशमि झांटों के जंगल के बीच छुपे हुए उसके सेक्सी गांड का नज़ारा देखने को मिला।
नाईट लैंप की हलकी रौशनी मे चमकते हुए नंगे जिस्म को देखकर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लंड मारे ख़ुशी के झूमने लगा। चाचा ने अब मुझसे अपने ऊपर चढ़ने को कहा। मैं तुरंत उसके ऊपर लेट गया और उसके लंड को दबाते हुए उसके सेक्सी होंट चूसने लगा। चाचा ने भी मुझे कस कर अपने आलिंगन मे जकड लिया और चुम्मों का जवाब देते हुए मेरे मुंह मे अपनी जीभ डाल दी । क्या स्वादिष्ट और सेक्सी जीभ थी ।
मैं भी उसकी जीभ को जोर शोर से चूसने लगा। कुछ देर तक तो हम ऐसे ही चिपके रहे, फिर मैं अपने होंट उसके नाज़ुक गालों पर रगड़ रगड़ कर चूमने लगा।फिर चाचा ने मेरी पीठ पर से हाथ ऊपर ला कर मेरा सर पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ़ कर दिया। मैं अपने होंट उसके होंटों से उसके थोड़ी पर लाया और नाभि को चूमता हुआ लंड पर पहुंचा । मैं एक बार फिर उसके लंड को मसलता हुआ और चूसने लगा।उसने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकाल लिया और हमारी टांगें एक-दूसरे से दूर हो गई । अपने दायें हाथ से वो मेरा लंड पकड़ कर उसे मुट्ठी मे बाँध कर सहलाने लगा और अपने बाएं हाथ से मेरा दायाँ हाथ पकड़ कर अपनी टांगों के बीच ले गया। जैसे ही मेरा हाथ उसकी गांड पर पहुंचा उसने अपनी गांड के छेद को ऊपर से रगड़ दिया।
समझदार को इशारा काफी था। मैं उसके लंड को चूसता हुआ उसकी गांड को रगड़ने लगा। ” अपनी अंगुली अंदर डालो ना” कहते हुए चाचा ने मेरी अंगुली अपनी गांड के मुंह पर दबा दिया। मैने अपनी अंगुली उसकी गांड मे घुसा दी और वो पूरी तरह अंदर चली गई । जैसे जैसे मै उसकी गांड के अंदर अंगुली अंदर बाहर कर रहा था मेरा मज़ा बढ़ता गया।
जैसे ही मेरी अंगुली उसकी गांड के छेद से टकराई उसने जोर से सिसकारी ले कर अपनी जाँघों को कस कर बंद कर लिया और चूतड़ उठा उठा कर मेरे हाथ को चोदने लगा। कुछ देर बाद उसके लंड से प्री-कम बह रहा था। थोड़ी देर तक ऐसे ही मज़ा लेने के बाद मैने अपनी अंगुली उसकी गांड से बाहर निकाल ली और सीधा हो कर उसके ऊपर लेट गया। उसने अपनी टांगें फ़ैला दी और मेरे फ़रफ़रते हुए लंड को पकड़ कर सुपाड़ा गांड के मुहाने पर रख लिया। उसकी झांटों का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था. फिर चाचा ने कहा “अब अपना लौरा मेरी गांड मे घुसाओ, प्यार से घुसेड़ना नही तो मुझे दर्द होगा,अह्हह्हह!”
मैं नौसिखिया था इसलिए शुरु शुरु मे मुझे अपना लंड उसकी टाइट गांड मे घुसाने मे काफी परेशानी हुई। मैंने जब जोर लगा कर लंड अंदर डालना चाहा तो उसे दर्द भी हुआ। लेकिन पहले से अंगुली से चुदवा कर उसकी गांड काफी ढीली हो गई थी.फिर चाचा ने अपने हाथ से लंड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा दिया और रास्ता मिलते ही मेरे एक ही धक्के मे सुपाड़ा अंदर चला गया। इसे पहले की चाचा संभला , मैने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड मक्खन जैसे गांड की जन्नत मे दाखिल हो गया। चाचा चिल्लाया, “उईई ईईईइ ईईइ चाचा आआ उहुहुह्हह्हह ओह , ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नही! बड़ा जलीम है तेरा लंड। मार ही डाला मुझे तुमने दीनू ।” मैने सोचा लगता है चाचा को काफी दर्द हो रहा है।
पहली बार जो इतना मोटा और लंबा लंड उसके गांड मे घुसा था। मैं अपना लंड उसकी गांड मे घुसा कर चुपचाप पड़ा था।
चाचा की गांड फड़क रहा था और अंदर ही अंदर मेरे लौड़े को मसल रही थी.उसके उठा लंड काफी तेज़ी से ऊपर नीचे हो रहा था। मैने हाथ बढ़ा कर लंड को पकड़ लिया और निपल मुंह मे लेकर चूसने लगा। थोड़ी देर बाद चाचा को कुछ राहत मिली और उसने कमर हिलनि शुरु कर दी और मुझसे बोला, “भैया शुरु करो, चोदो मुझे। ले लो मज़ा जवानी का ” और अपनी गांड हिलाने लगा।मैं थोड़ा अनाड़ी । समझ नहीं पाया की कैसे शुरु करूँ। पहले अपनी कमर ऊपर की तो लंड गांड से बाहर आ गया। फिर जब नीचे किया तो ठीक निशाने पर नही बैठा और चाचा की गांड को रगड़ता हुआ नीचे फिसल गया। मैने दो तीन धक्के लगाया पर लंड गांड मे वापस जाने बजाय फिसल कर नीचे चला जाता। चाचा से रहा नही गया और तिलमिला कर ताना देते हुए बोला, ” अनाड़ी से चुदवाना गांड का सत्यानाश करवाना होता है, अरे मेरे भोले दीनू भैया जरा ठीक से निशाना लगा कर अंदर डालो नही तो गांड के ऊपर लौड़ा रगड़ रगड़ कर झर जाओगे ।”मैं बोला, ” अपने इस अनाड़ी भैया को कुछ सिखाओ, ज़िन्दगी भर तुम्हें अपना गुरु मानूंगा और जब चाहोगे मेरे लंड की दक्षिना दूंगा।”
चाचा लम्बी सांस लेते हुए बोला, “हाँ , मुझे ही कुछ करना होगा नही तो ..”और मेरा हाथ अपनी लंड पर से हटाया और मेरे लंड पर रखते हुए बोला, “इसे पकड़ कर मेरी गांड के मुंह पर रखो और लगाओ धक्का जोर से।” मैने वैसे ही किया और मेरा लंड उसकी गांड को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर चला गया। फिर वो बोला, “अब लंड को बाहर निकलो, लेकिन पूरा नही। सुपाड़ा अंदर ही रहने देना और फिर दोबारा पूरा लंड अंदर पेल देना, बस इसी तरह से करते रहो।” मैने वैसे ही करना शुरु किया और मेरा लंड धीरे धीरे उसकी गांड मे अंदर -बाहर होने लगा।
फिर चाचा ने स्पीड बढ़ा कर करने को कहा। मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी औए तेज़ी से लंड अंदर -बाहर करने लगा। चाचा को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शोत का जवाब देने लगा। लेकिन ज्यादा स्पीड होने से बार बार मेरा लंड बाहर निकाल जाता। इसे चुदाई का सिलसिला टूटजाता।आखिर चाचा से रहा नही गया और करवट ले कर मुझे अपने ऊपर से उतार दिया और मुझको चित लेटा कर मेरे ऊपर चढ़ गया।
अपनी जाँघों को फ़ैला कर बगल करके अपने कड़क चूतड़ रखकर बैठ गया। उसकी गांड मेरे लंड पर थी और हाथ मेरी कमर को पकड़े हुए था और बोला, “मैं दिखाता हूँ कि कैसे चोदते है,” और मेरे ऊपर बैठ कर धक्का लगाया । मेरा लंड घप से गांड के अंदर दाखिल हो गया।चाचा ने अपनी सेक्सी लंड मेरी पेट पर रगड़ते हुए अपने गुलाबी होंट मेरे होंट पर रख दिए और मेरे मुंह मे जीभ डाल दी । फिर उसने मज़े से कमर हिला हिला कर शोत लगाना शुरु किया। बड़ा कस कस कर शोत लगा रहा था। गांड मेरे लंड को अपने मे समाये हुए तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थे । मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत पहुँच गया हूँ। जैसे जैसे चाचा की मस्ती बढ़ रही थी उसके शोत भी तेज़ होते जा रहे थे।
अब वो मेरे ऊपर मेरे कंधो को पकड़ कर घुटनों के बल बैठ गया और जोर जोर से कमर हिला कर लंड को तेज़ी से अंदर -बाहर लेने लगा। उसके सारा बदन हिल रहा था और सांसे तेज़ तेज़ चल रही थी । चाचा का लंड तेज़ी से ऊपर नीचे हो रहा था। मुझसे रहा नही गया और हाथ बढ़ा कर लंड को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा।
चाचा एक सधे हुए खिलाडी की तरह कमान अपने हाथों मे लिये हुए कस कस कर शोत लगा रहा था। जैसे जैसे वो झड़ने के करीब आ रहा था उसकी रफ़्तार बढती जा रही थी । कमरे मे फच फच की आवाज़ गूँज रही थी । जब उसकी सांस फूल गई तो खुद नीचे आकर मुझे अपने ऊपर खींच लिया और टांगों को फ़ैला कर ऊपर उठा लिया और बोला, “मैं थक गया मेरे रज्जज्जा, अब तुम मोरचा संभालो।”
मैं झट उसकी जाँघों के बीच बैठ गया और निशाना लगा कर झटके से लंड गांड के अंदर डाल दिया और उसके ऊपर लेट कर दनादन शॉट लगने लगा। चाचा ने अपनी टांग को मेरी कमर पर रखा कर मुझे जकड लिया और जोर जोर से चूतड़ उठा उठा कर चुदाई मे साथ देने लगा। मैं भी अब उतना अनाड़ी नही रहा और उसके लंड को मसलते हुए दनादन शॉट लगा रहा था। पूरा कमरा हमारी चुदाई की आवाज़ से गूँज उठा था। चाचा अपनी कमर हिला कर चूतड़ उठा उठा कर चुदा रहा था और गांड उछाल उछाल कर मेरा लंड अपने गांड मे ले रहा था और मैं भी पूरे जोश के साथ उसकी छाती को मसल मसल कर अपने गहरे दोस्त के चाचा की गहरी चुदाई कर रहा था।अब चाचा ने मुझको कस कर अपनी बाहों मे जकड लिया और उसके लंड ने ज्वालामुखी का लावा छोड़ दिया। अब तक मेरा भी लंड पानी छोड़ने वाला था और मैं बोला, “मैं भी आयाआआ मेरी आआन,” और मैंने भी अपना लंड का पानी छोड़ दिया और मैं हाँफते हुए उसके सीने पर सिर रख कर कसके चिपक कर लेट गया। यह मेरी पहली चुदाई थी । इसलिए मुझे काफी थकान महसूस हो रही थी ।
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