Gay sex story Hindi – सुशील और चरणदास 2

अगले दिन।

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चरणदास : आओ पुत्र।तुम्हें किसी ने देखा तो नहीं।अगर कोई देख लेगा तो तुम्हारी पूजा का कोई लाभ नहीं।

सुशील: नहीं चरणदास जी।किसी ने नहीं देखा।आप मुझे आज्ञा दे।

चरणदास : पुत्र।आज तुम्हें पूरी तरह शुद्ध होना होगा।सबसे पहले तुम्हें कच्चे दूध का स्नान करना होगा।शुद्ध वस्त्र पहनने होंगे ।

सुशील: जो आज्ञा चरणदास जी।

चरणदास : अब तुम स्नानगृह में जा के कच्चे दूध का स्नान करो। मैंने वहां पर कच्चा दूध रख दिया है क्योंकि तुम्हारे लिये कच्चा दूध घर से लना मुश्किल है।और हाँ ।तुम्हारे वस्त्र भी स्नानगृह में ही रखे हैं।

चरणदास ने लुंगी बाथरूम में रखा था।
सुशील दूध से नहा कर आया ।सिर्फ बनियान और लुंगी में ।

चरणदास : आओ पूजा शुरु करें।

वो दोनो अग्नि के पास बैठ गये।चरणदास ने मन्त्र पढ़ने शुरु किये।थोड़ी गर्मी हो गई थी इसलिये चरणदास ने अपना कुरता उतार दिया।उसकी बॉडी मस्कुलर थी ।अब वो केवल लुंगी में था। दोनो चौकड़ी मार के बैठे थे।

चरणदास : पुत्र।यह नारियल अपनी झोली में रख लो।इसे तुम प्रसाद समझो।तुम दोनो हाथ सिर के ऊपर से जोड़ के भगवान् का ध्यान करो।

सुशील सिर के ऊपर से हाथ जोड़ के बैठा था।चरणदास उसकी झोली में फ़ल डालता रहा।

सुशील की इस पोजीशन में उसका नंगा पेट और गुलाबी होंट चरणदास के लौड़े को खड़ा कर रहे थे

चरणदास : सुशील।पुत्र।यह मौलि तुम्हें पेट पे बाँधनी है। विधि के अनुसार इसे पुजारी को बाँधना चाहिए ।
थोड़ी गर्मी हो गई थी इसलिये चरणदास ने अपना कुरता उतार दिया।उसकी बॉडी मस्कुलर थी ।अब वो केवल लुंगी में था। दोनो चौकड़ी मार के बैठे थे।

चरणदास : पुत्र।यह नारियल अपनी झोली में रख लो।इसे तुम प्रसाद समझो।तुम दोनो हाथ सिर के ऊपर से जोड़ के भगवान् का ध्यान करो।

सुशील सिर के ऊपर से हाथ जोड़ के बैठा था।चरणदास उसकी झोली में फ़ल डालता रहा।सुशील की इस पोजीशन में उसका नंगा पेट और गुलाबी होंठ चरणदास के लौड़े को खड़ा कर रहे थे

चरणदास : सुशील।पुत्र।यह मौलि तुम्हें पेट पे बाँधनी है।

सुशील: चरणदास जी।विधि का पालन करना मेरा धरम है।जैसा विधि में लिखा है आप वैसा ही कीजिये ।

चरणदास : मौलि बाँधने से पहले जल से वो जगह साफ़ करनी होती है।

चरणदास ने सुशील के पेट पे जल छिड़का और उसका नंगा पेट जल से धोने लगा।सुशील की पेट की स्किन बहुत स्मूथ थी ।चरणदास उसके पेट को रगड़ रहा था।फिर उसने तौलिये से सुशील का पेट सुखाया।

सुशील के हाथ सिर के ऊपर थे।चरणदास सुशील के सामने बैठ कर उसके पेट पे मौलि बाँधने लगा।पहली बार चरणदास ने सुशील के नंगे पेट को छुआ।बाँधते समय चरणदास ने अपनी अंगुली सुशील के नाभि पे रखी।

अब चरणदास ने अंगुली पे टीका लगाया और सुशील के पेट पे टीका लगाने लगा।उसने सुशील के पेट पर त्रिशूल बनाया।

सुशील की नाभि पर आ कर चरणदास रुक गया।अब अपनी अंगुली उसकी नाभि में घुमाने लगा।वह सुशील की नाभि में टीका लगा रहा था।सुशील के दोनो हाथ ऊपर थे।वह भोला था।वह इन सब चीज़ों को धरम समझ रहा था।लेकिन यह सब उसे भी कुछ कुछ अच्छा लग रहा था। फिर चरणदास घूम कर सुशील के पीछे आया।उसने सुशील की पीठ पर जल छिड़का और हाथ से उसकी पीठ पे जल लगाने लगा।

चरणदास : जल से तुम्हारी देह और शुद्ध हो जाएगी।
सुशील की नंगी पीठ को छूकर चरणदास का लौड़ा टाइट हो गया था।

चरणदास : तुम्हारी राशि क्या है?

सुशील: कुम्भ।

चरणदास : मैं टीके से तुम्हारी पीठ पर तुम्हारी राशि लिख रहा हूँ।जल से शुद्ध हुई तुम्हारी पीठ पे तुम्हारी राशि लिखने से तुम्हारे ग्रहों की दिशा लाभदायक हो जाएगी।

चरणदास ने सुशील की नंगी पीठ पे टीके से कुम्भ लिखा।

फिर चरणदास सुशील के पैरों के पास आया।

चरणदास : अब अपने चरण सामने करो।
सुशील ने पैर सामने कर दिये।चरणदास ने उसकी लुंगी थोड़ा ऊपर चढ़ाई ।उसकी टांगों पे जल छिड़का और उसकी टांगें हाथों से रगड़ने लगा।

चरणदास : हमारे चरण बहुत सी अपवित्र जगहों पर पड़ते हैं।जल से धोने के पश्चात अपवित्र जगहों का हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।तुम भगवान् का ध्यान करो।

सुशील: जी चरणदास जी।
चरणदास ने सुशील का लुंगी घुटनो के ऊपर चढ़ा दिया।अब सुशील की टांगें जांघें तक नंगी था।

चरणदास ने उसकी जांघें पे जल लगया और उसकी जांघें हाथों से धोने लगा।सुशील ने टांगें जोड़ रखी था।

चरणदास ने कहा।

चरणदास : सुशील।अपनी टांगें खोलो।

सुशील ने धीरे धीरे अपनी टांगें खोल दी ।अब सुशील चरणदास के सामने टांगें खोल के बैठा था।उसकी अंडरवियर चरणदास को साफ़ दिख रही थी ।चरणदास ने सुशील की इन्नर जांघें को छुआ।और उन्हें जल से रगड़ने लगा।

इस वक़्त चरणदास के हाथ सुशील के लंड के नज़दीक थे।कुछ देर सुशील के इन्नर जांघें धोने के बाद अब वो उन्हें तौलिये से सुखाने लगा।फिर उसने अंगुली में टीका लगाया और सुशील के इन्नर जांघें पे लगाने लगा।

सुशील: चरणदास जी।यहाँ भी टीका लगाना होता है?

चरणदास : हाँ सुशील।लज्जा ना करना।

सुशील: नहीं चरणदास जी।

जैसे अंगुली से माथे पर टीका लगाते हैं चरणदास अंडरवियर के ऊपर से ही सुशील के लंड पे भी टीका लगाने लगा।सुशील गरम भी हो रहा था।चरणदास टीका लगाने के बहाने 5-6 सेकंड तक अंडरवियर के ऊपर से सुशील का लंड रगड़ता रहा।

लंड से हाथ हटाने के बाद चरणदास बोला।

चरणदास : विधि के अनुसार मुझे भी जल लगाना होगा।अब तुम इस जल को मेरी छाती पे लगाओ।

चरणदास लेट गया।

चरणदास ने चेस्ट शेव कर रखी था।और पेट भी ।उसकी चेस्ट और पेट बिलकुल स्मूथ थे।सुशील जल से उसकी चेस्ट और पेट रगड़ने लगा।सुशील को अंदर ही अंदर चरणदास का बदन आकर्षित कर रहा था।उसके मन में आया की कितना स्मूथ और चिकना है चरणदास का बदन।ऐसे ख्याल सुशील के मन में पहले कभी नहीं आये थे।

चरणदास : अब तुम मेरी छाती पे टीके से सतिया बना दो।सतिया इस प्रकार बनना चाहिये कि मेरे ये दोनो निप्पल सतिया के ऊपर के दोनो खानो की बिन्दु हो।

निप्पलों का नाम सुन कर सुशील शरमा गया।

सुशील ने सतिया बनाया।लेकिन उसने सिर्फ सतिया के नीचे के दो खानो की बिन्दु ही बनायी टीके से।

चरणदास : सुशील।सतिया में चार बिन्दु डलती हैं।

सुशील: चरणदास जी।लेकिन ऊपर की दो बिन्दु तो पहले से ही बनी हुई हैं।

चरणदास : परंतु टीका उन पर भी लगेगा।

सुशील चरणदास के निप्पलों पर टीका लगाने लगा।
चरणदास : मानव की नाभि उसकी ऊर्जा का स्रोत होता है।अत: यहाँ भी टीका लगाओ।

सुशील: जो आज्ञा चरणदास जी।

सुशील ने अंगुली में टीका लगाया।चरणदास की नाभि में अंगुली डाली टीका लगाने लगा।चरणदास ने सुशील को आकर्षित करने के लिये अपना पेट और चेस्ट शेव करने के साथ साथ अपनी नाभि में थोड़ी क्रीम लगाई थी इसलिये उसकी नाभि चिकनी हो गया था।सुशील सोच रहा था कि इतनी चिकनी नाभि तो उसकी खुद की भी नहीं है।सुशील चरणदास के बदन की तरफ़ खिचा चला जा रहां था।ऐसे ख्याल उसके मन में पहले कभी नहीं आये थे।सुशील ने चरणदास की नाभि में से अपनी अंगुली निकाली ।चरणदास ने अपने थैले से एक लौड़े की शेप की लकड़ी निकाली ।लकड़ी बिलकुल चिकनी और 5 इंच लंबी और 1 इंच मोटी थी ।

लकड़ी के एंड में एक छेद था।चरणदास ने उस छेद में डाल कर मौलि बाँधी ।

चरणदास : यह लो।यह पवित्र यंत्र है।

सुशील ने पवित्र यंत्र को प्रणाम किया।

चरणदास : इस पवित्र यंत्र को अपनी कमर में बाँध लो।यह हमेशा तुम्हारे सामने आना चाहिये।तुम्हारे पेट के नीचे।

सुशील: चरणदास जी।इस्से क्या होगा?

चरणदास : इससे भगवान् तुम्हारे साथ रहेगा।यदि किसी और ने इसे देख लिया तो भगवान् नाराज़ हो जायेगा।अत:।यह किसी को दिखाना या बताना नहीं।और तुम्हें हर समय यह बाँधे रखना है।सोते समय भी।

सुशील: जैसा आप कहें चरणदास जी।

चरणदास : लाओ।मैं बाँध दूँ।
दोनो खड़े हो गये।चरणदास ने वो यंत्र सुशील की कमर में डाला और उसके पीछे आ कर मौलि की गाँठ बाँधने लगा।उसके हाथ सुशील की नंगी कमर को छू रहे थे।गाँठ लगाने के बाद चरणदास बोला।

चरणदास : अब इस यंत्र को अंदर डाल लो।

सुशील ने यंत्र को अपनी लुंगी के अंदर कर लिया।यंत्र सुशील की टांगों के बीच में आ रहा था।

चरणदास : बस।अब तुम वस्त्र बदल कर घर जा सकते हो।जो टीका मैंने लगाया है उसे ना हटाना।

सुशील: परंतु स्नान करते समय तो टीका हट जायेगा।

चरणदास : उसकी कोई बात नहीं।

सुशील कपड़े बदल कर अपने घर आ गया।उसने टांगों के बीच यंत्र पहन रखा था।यंत्र उसकी टांगों के बीच हिलता रहा।उसकी स्किन को टच करता रहा।जब रात को सुशील सोने के लिये लेटा हुआ था तो यंत्र सुशील की गांड के डायरेक्ट कांटेक्ट में था।सुशील यंत्र को दोनो टांगें टाइट जोड़ के दबाने लगा।उसे अच्छा लग रहा था।उसने यंत्र को हाथ में लिया और यंत्र को हलके हलके अपनी गांड पे दबाने लगा।फिर यंत्र को अपने लंड पे रगड़ने लगा।वह गरम हो रहा था।तभी उसे खयाल आया “सुशील, यह तु क्या कर रहा है।यंत्र के साथ ऐसा करना बहुत पाप है।”।यह सोच कर सुशील ने यंत्र से हाथ हटा लिया और सोने की कोशिश करने लगा।तकरीबन आधी रात को सुशील की आँख खुली।उसे अपनी चूतड़ के बीच में कुछ चुभ रहा था।हाथ चूतड़ के बीच में ले गया तो पाया की यंत्र उसकी गांड के बीच में फंसा हुआ था।यंत्र का मुंह सुशील के एस होल से चिपका हुआ था।सुशील को पीछे से यह चुभन अच्छी लग रही थी ।उसने यंत्र को अपने गांड पे और दबाया।उसे मज़ा आया।और दबाया ।और मज़ा आया।उसके गांड में आग सी लगा हुई थी ।उसका दिल क्र रहा था कि पूरा यंत्र एस होल में दबा दे।तभी उसे फिर खयाल आया कि यंत्र के साथ ऐसा करना पाप है।डर के उसने यंत्र को टांगों के बीच में कर दिया और सो गया।

अगले दिन सुशील वही पिछले रास्ते से चरणदास के पास गया।

चरणदास : आओ सुशील।जाओ दूध से स्नान कर आओ और वस्त्र बदल लो।
सुशील दूध से नहा कर कपड़े पहन रहा था तो उसने देखा की आज जोगिया बनियान और लुंगी के साथ जोगिया रंग की अंडरवियर भी पड़ा था।उसने अपनी अंडरवियर उतार के जोगिया अंडरवियर पहन ली।नहा के बाहर आया।

चरणदास अग्नि जला कर बैठा मन्त्र पढ़ रहा था।

सुशील भी उसके पास आ कर बैठ गया।

चरणदास : सुशील।आज तो तुम्हारे सारे वस्त्र शुद्ध हैं ना?

सुशील: जी चरणदास जी।

वह जानता था की चरणदास का मतलब अंडरवियर से है।

चरणदास : तुम चाहो तो वो यंत्र फिलहाल निकाल सकते हो।

सुशील खड़ा होकर यंत्र की मौलि खोलने लगा।लेकिन गाँठ काफी टाइट लगा था।चरणदास ने यह देखा।

चरणदास : यंत्र ने तुम्हें परेशान तो नहीं किया।खास कर रात में सोने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई?

सुशील कैसे कहता कि रात को यंत्र ने उसके साथ क्या किया है।

सुशील: नहीं चरणदास जी।कोई परेशानी नहीं हुई।

सुशील गाँठ खोल नहीं पा रहा था ।
चरणदास : सुशील।पूजा में विलम्ब हो रहा है।लाओ मैं निकालूँ

चरणदास सुशील के सामने आया और गाँठ खोलने लगा।

चरणदास : यह ऐसे नहीं निकलेगा।तुम ज़रा लेट जाओ

सुशील लेट गया।चरणदास गाँठ खोलने पे लगा हुआ था।

चरणदास : सुशील।लुंगी की गाँठ खोलनी पड़ेगी ।पूजा में विलम्ब हो रहा है।

सुशील: जी।
चरणदास ने लुंगी की गाँठ खोल दी ।गाँठ खोलने से लुंगी ढीली हो गई और सुशील की अंडरवियर से थोड़ा नीचे आ गई ।मौलि निकालते वक़्त चरणदास की कोहनी सुशील की लंड के पास लग रही थी ।कुछ देर बाद मौलि कि गाँठ खुल गयी ।

चरणदास : यह लो।निकल गया।

फिर दोनो चौकड़ी मार के बैठ गये और चरनदास पूजा का नाटक करने लगा।

पूजा के बाद सुशील ने पहले जैसे यंत्र को अपनी टांगों के बीच बाँध लिया।

सारे दिन यंत्र सुशील के टांगों के बीच चुभता रहा।लेकिन अब यह चुभन सुशील को अच्छी लग रही था।सुशील रात को सोने लेटा ।यंत्र सुशील की गांड को टच कर रहा था।सुशील ना चाहते हुए भी एक हाथ अंडरवियर के ऊपर से ही यंत्र पे ले गया।और यंत्र को अपनी गांड पे दबाने लगा।उसका दिल कर रहा था की वो पूरा का पूरा यंत्र अपनी गांड में डाल दे।लेकिन इसे गलत मानते हुए और अपना मन मारते हुए उसने यंत्र से हाथ हटा लिया।आधी रात को उसकी आँख खुली तो उसे अपनी चूतड़ के बीच में कुछ लगा।यंत्र कल की तरह सुशील की चूतड़ में फंसा हुआ था।
सुशील यंत्र को अपनी चूतड़ के बीच में ले गया और अपने गांड पे दबाने लगा।उसे मज़ा आ रहा था लेकिन डर की वजह से वो यंत्र को गांड से हटा कर टांगों के बीच ले आया।उसने यंत्र को हलका सा लंड पे रगड़ा।
फिर उसने वापस यंत्र को अपनी जगह बाँध दिया।और गरम गांड ही ले के सो गया।

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