Hindi Gay sex kahani – गांडू का परिवार

Hindi Gay sex kahani – गांडू का परिवार

मै मुंबई से अहमदाबाद आ रहा था , एसी चैर कार मै मेरे पास एक २५ साल का लड़का बैठा था, उसने अपना नाम जतिन पटेल बताया, बोला प्यार से उसे जीतू कह सकते हैं .. बातो बातो में उसने बताया की उसके पिता बड़े अधिकारी हैं और उसका सरकारी मकान गांधीनगर में है. मुझे उस रोज़ अहमदाबाद ही रुकना था और अगले दिन सुबह वह से निकलना था, उसके आग्रह पर मैं उसके साथ उसके घर चल दिया..
उसके पिता का सरकारी घर ठीकठाक सा था . घर में शाम को नौकर आया और खाना बना कर चला गया. हमने खाना खाया फिर छत पैर गप्पे मारने लगे. थोड़ी गर्मी थी, उसने टी शर्ट और निक्कर पहना हुआ था , मैंने भी. ‘ गर्मी बहुत है अशोक, चाहो तो टी शर्ट खोल कर आराम से बैठो, तुम कहो तो मैं तुम्हे अपने पिताजी की लुंगी ला देता हू उसे पहन लो, ‘ मैं हाँ बोलता उस से पहले ही वह निचे से लुंगी ले आया,’ तुम कहते हो तो पहन लेता हू, कह कर मैं नीचे जाने लगा , तो वो बोला,’ अशोक दोस्तों में क्या शर्म यहीं पहन लो,’ ‘ मैं हँसते हुए बोला, यार मैं घर में चड्डी नहीं पहनता, ‘ तो क्या हुआ, पहन लो यार , अँधेरा है वैसे भी छत से कोई देख नहीं सकता..’ मुझे लगा अब पहन ही लेता हूँ, मैंने लुंगी उपर लपेटी और निक्कर सरका दिया और फिर लुंगी लपेट ली,’ ‘ क्या यार तुम तो बड़ा शरमाते हो,’ वो बोला, मैं हसने लगा..
‘ अशोक मैं मालिश बहुत अछी करता हूँ, तुम ट्रेन के सफ़र से थके हुए भी हो, कहो तो एक अछी मालिश कर दू? जीतू बोला. अब मालिश के लिए कौन मना करेगा, मैं वही छत पर बिछे बिस्टर पर लेट गया, जीतू तेल ले आया और मेरे पैरों से उसने मालिश शुरू कर दी, अँधेरा था ठंडी हवा थी बड़ा अच्छा लग रहा था, उसने रानो पर मालिश के बाद मेरी जांघों पर मालिश शुरू कर दी , मालिश करते करते उसके हाथ मेरे नितम्बों से टकराने लगे, और उसने थोड़ी देर बाद मेरे नितम्बों से लुंगी उपर कर दी , जांघों के बाद वो मेरे नितम्बों पर भी मालिश करने लगा और बीच के छेद पर भी खूब तेल लगता रहा , मुझे अच्छा लग रहा था , मैं चुपचाप लेटा रहा. मालिश करते करते वो खुद नंगा हो गया था और बिच बिच में उसका लंड मेरी जांघों से टकरा रहा था , पर यह सब मुझे अजीब नहीं लग रहा था न जाने क्यूँ? पहली बार मेरी मालिश कोई नग्न पुरुष कर रहा था और मैं भी तो नग्न ही तो था..
‘ यार अशोक लुंगी की गाँठ खोल दे, तेल से ख़राब हो जाएगी , मैंने भी कपडे इसी लिए उतारे हैं, जीतू बोला. मैंने उसके कहे मुताबिक लुंगी हटा दी, अब मैं उल्टा और नंगा लेटा था.. उसने मेरी पीठ और हाथो पर भी मालिश की , और फिर वापस वो मेरी गांड पर आ गया , गांड के छेद पर उसने खूब सारा तेल डाला और उसको धीरे धीरे सहलाने लगा,’ अशोक बुरा न मनो तो गांड चाट लू ? मुझसे कुछ बोला न गया और मैंने गांड उपर कर दी, जैसे मैं कोई चौपाया जानवर हूँ, उसने अब मेरी गांड के छेद को खोला और अंडर जीभ डाल दी, उसकी जीभ और गहरी जा रही थी , वो गांड ऐसे खा और चाट रहा था जैसे lollypop चूस रहा हो.

मुझे आस्चर्य हो रहा था की इसको घिन नहीं आ रही पर मैं आनंद ले रहा था जीवन मैं पहली बार गांड चटाई का,किसी उस्ताद खिलाडी की तरह वो रुका नहीं और अब उसके हाथ मेरे लटक रहे थेले पर आ गए , मेरे अंडकोष वो अब सहला रहा था और बीच बीच में उनको भी चाट रहा था , लेकिन उसका पूरा जोर गांड पर ही था, गांड में उसकी जीभ कोई एक- डेढ़ इंच जा चुकी थी बीच बीच में वो छेद को थोडा खोलता और जीभ और अन्दर दाल देता , अब मेरी हालत ख़राब थी और उसको इसका अंदाज़ा था, उसने चटाई के साथ साथ एक हाथ से मेरा लौड़ा पकड़ लिया और उसको हिलाने लगा.

दुसरे हाथ से वो मेरे आंड दबा रहा था, गांड आंड और लंड तीनो को उसने अपने कब्ज़े में कर रखा था , मैं झड़ने को ही था और मेरी गांड अब तेज़ी से उपर नीचे होने लगी थी, उसने जीभ से मेरी गांड को चोदना शुरू कर दिया और हाथ की स्पीड बाधा दी, ‘ओह्ह चूतिये पानी छूट रहा है मेरा , मैं बोला, ‘ हा रजा पानी नहीं अमृत ‘ कह कर उसने ठीक पानी की पिचकारी छूटने से पहले मुह को गांड से हटा कर मेरे लंड के छेद पर रख दिया, मेरी फूट रही वीर्य की बूंदों को वो गटागट पी गया, अशोक तेरा अमृत बड़ा गाढ़ा और रसीला है, वो बोला . मैंने पहली बार किसी आदमी के मुह में पानी छ्होड़ा था, मुझे किस चूत को चोदने का मौका भी नहीं मिला था इसलिए पहली बार किसी और ने मेरे लंड पर हाथ लगाया था और पहली बार किसी ने पानी छुट्वाया था… मैं उत्तेजित तो था लेकिन पूरा रोमांचित नहीं था, मुझे लगा मैं कहीं होमो तो नहीं हूँ या हो रहा हूँ?

एक बार खुलते ही जीतू फॉर्म में आ गया, बोला जब वो 7-8 साल का था तब घर के एक नौकर ने उसको लंड चुसवाने और गांड मरवाने की आदत डाल दी थी, ‘ मैं घर से थोडा दूर एक दूधवाले के यहाँ दूध लेने जाता था,’ वो मुझे दूध के बहाने रोक के रखता फिर अपनी धोती खोल कर मेरा मुह चोदता , 12-13 साल का होते होते जीतू ने कोई 10-15 लोगों से गांड मरवा ली थी.. ‘ उन दिनों मैं अछे स्कूल में पढने सूरत आया , जहाँ पूरा परिवार रहता था, मैं मेरे पिताजी, मेरी मान और मेरी बहिन , यहाँ जीतू के घर उसको और उसकी बहन को पढ़ने एक अध्यापक आता था ,’ उसका नाम था अमीन खान और वो साथ के अस्स्पास था , जीतू ने बताया , ‘ दिन में जब माँ सो जाया करती थीं या कई बार बहार गयी हुई होतीं तब वह बड़ा ज़ालिम बन जाता , जीतू कह रहा था. ‘ मुझे वो नंगा कर के डंडे से मरता , मेरी बहन के सामने मेरी गांड लाल कर देता, कई बार उसी डंडे को मेरी गांड में डालता और मेरी बहन और मुझे दोनों को डराअ धमका कर नंगा कर देता, मेरी बहन की छोटी छोटी चुचियों को वो बड़ी बेरहमी से दबाता और उसकी चूत में ऊँगली करता और कभी डंडा डालने की कोशिश करता, फिर वो नंगा हो कर मेरे मुह पर बैठ जाता , मैं उसकी बदबूदार गांड चाटता और मेरी बहन उसका कटा हुआ लंड चूसती , हालाँकि उसका लंड खड़ा नहीं होता था लेकिन वो नरम लंड से ही मेरे और मेरी बहन के मुह में पानी छोड़ देता था, जीतू ने बताया . ‘ बस तब से ही मेरी गांड चाटने की आदत पड़ गई .
जीतू की बाते सुन कर में फिर से उत्तेजित होने लगा था, अशोक अब तक मैंने कोई 40 से 50 के बीच लोगों की गांड चाटी है और कोई 60 लोगों का लंड चूसा है या गांड मरवाई है,’ वो बोला. ‘ जीतू तुम्हें कभी किसी औरत को चोदने की इच्छा नहीं हुई ? मैंने पूछा . ‘ नहीं कभी नहीं हुई मुझे सिर्फ आदमी ही आकर्षित करते हैं, मैं चाहता हूँ मैं मेरे पापा का लंड भी चूसूं , एक दो बार बहाना कर के उनके साथ भी सोया लेकिन उन्होंने कोई इंटेरेस्ट नहीं लिया , वो बोला. ‘ और कभी माँ या बहिन को चोदने की इच्छा नहीं हुई ? ‘ नहीं कभी नहीं लेकिन अगर तुम उनको चोदोगे तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा ? ‘ मुझे उत्तेजना हुई , मैंने पूछा ,’ कैसे ? ‘ कैसे क्या तुम चोदो मेरी माँ को और बहिन को मैं तुम्हारा लंड चूसूंगा और गांड चाटूंगा ,’ वो बोला,’ अच्छा तुम्हारी माँ और बहिन की गांड चाटने की इच्छा नहीं होगी ? मैंने पूछा . ‘गांड का गू तो मैं किसी का भी चाट लूँ , माँ हो या बहिन , लेकिन अब तक किसी औरत की गांड चाटी नहीं, उसने कहा .
मैंने कपडे पहने नहीं थे इसलिए मेरा फूलता हुआ लंड अब साफ़ दिख रहा था, जीतू ने उसको प्यासी नज़रों से देखा और अपना मुह उसके पास ले आया, अशोक तुम्हारा लंड बहुत मोटा है किसी काले केले के जैसा , वो बोला, ले गांडू अब तू इस केले का छिलका उतर और खा इसको , मैं बोला, जीतू ने अपने होठों से मेरे लंड के आगे की चमड़ी उपर नीचे करना शुरू कर दिया और सुपाड़े को गीला कर के उसको दांतों से हल्का हल्का दबाते हुए चूसने लगा , मेरा सुपाडा फूल कर आलू जैसा हो गया था, ‘ अशोक तू मेरी गांड बाद में मरना अगर तुझे सुसु आ रही हो तो पहले मेरे मुह में मूत ले मुझे प्यास लगी है, मुझे कुछ उल्टा सीधा सोचना पड़ा ताकि उत्तेजना कम हो और लंड सामान्य हो जाए क्यूंकि सुसु तो लंड के छोटे होने पर ही निकलती है , खैर थोड़ी देर में मेरा लंड छोटा हो गया ‘ मेरे मुह पर बैठ जाओ अशोक और मूतो , वो बोला, मैं उसके मुह पर बैठ गया उसने मेरा लंड पकड़ा और उसको होठों से लगा दिया, मेरी धार छूट रही थी, मैं मूत रहा था और वो सांस बंद करके उसको पी रहा था, कोई आधा लीटर मूत वो पी गया, आह अशोक तुमने मेरी प्यास बुझा दी, अब अगर तुमको बाथरूम का कोई भी काम हो टट्टी आये तो भी मेरे मुह में करना , मैं तुम्हारा टोइलेट हू, वो बोला.
‘ तुमको ये अपमान कैसे अच्छा लगता है? मैंने पूछा , ‘ अशोक मुझे अपमान में बहुत आनंद आता है, ‘ एक बार मुझे दो ऑटो रिक्क्षा वाले अपने साथ अपनी चाल में ले गए और मेरा खूब अपमान किया वो रात मुझे अभी तक याद है, वो बोला, ‘ क्या किया उन्होंने ?’ मैंने जिज्ञासा में पूछा ,’ उन्होंने मुझे नंगा कर के एक कुर्सी से बाँध दिया, फिर वो भी नंगे हो गए फिर पहले तो उन्होंने मुझे थप्पड़ मारे जोर जोर से मुह पर, फिर उन्होंने मेरे मुह में मूता और गन्दी गन्दी गालियाँ दीं , वो बोला,’ क्या गलियां दीं ? बोलते रहे कुत्ते , हरामजादे , कमीने , गांडू , भोसड़ी के, चूतिये , मादरचोद , भेन्चोद , भड़वे वगेरह फिर मुझे कहा अपनी माँ और बहिन को गालियाँ दे भड़वे , तो मैंने मेरी माँ को रंडी कहा लंड चोद कहा भोसड़ी की कहा चूत कहा , बहिन को भाई चोद , बाप चोद रंडी और खूब साडी गालियाँ दीं , फिर उन्होंने मेरे हाथ पांव बाँध कर मुझे घोड़ी बना दिया, एक ने अपना लौड़ा मुह में डाला दुसरे ने गांड में उन्होंने पूरी रात मुझे चोदा मूता गांड चटवाई और गालियाँ दीं और मेरी माँ बहिन को गालियाँ दिलवायीं , जीतू बोला.
” तुम्हारी माँ बहिन को ये सब पता है? मैंने पूछा . ‘ नहीं उनको नहीं पता कि मैं गांडू और गांड चाटू हूँ, बहिन को सिर्फ वो मास्टर वाला किस्सा पता है पर तब हम दोनों छोटे थे , ‘ वो बोला,’ अच्छा जीतू तुम मुझे अपनी माँ और बहिन को चुदवादोगे ? ‘ हा क्यूँ नहीं? लेकिन मैं सिर्फ मदद कर पाउँगा बाकी काम तुमको खुद करना होगा , वो बोला, ‘ मैं कैसे करूँगा ? और तुम क्या करोगे ? ‘ देखो एक साथ तो कुछ होगा नहीं मेरी माँ अगले शनिवार को यहाँ आ जाएगी, मैं उनको कह दूंगा की तुम एक कॉलेज में पढ़ते हो और मेरी पढाई में मदद के लिए यहाँ आ रहे हो, बाकी सब तुमको करना पड़ेगा , वो बोला, इधर उसकी बातें सुनकर मेरा लौड़ा फिर बेकाबू हो चुका था, ‘ जीतू फिर से मेरे लंड की टिप से मेरी गांड के छेद तक अपनी जीभ और उँगलियाँ चला रहा था , जब लंड पूरा कड़क हुआ तो वो घोड़ी बन गया, ‘ अशोक अब मेरी गांड की प्यास बुझाओ , सहन नहीं होता अब, कहके उसने गांड ऊँची कर दी, मैंने उसकी गांड पर कसके थप्पड़ मारे और फिर बिना थूक लगाये सूखा लंड गांड के छेद पर रख के दबाव दिया तो सुपाडा गांड में धंस गया, उसकी हलकी चीख निकली ,’ ये सोच भड़वे मैं तेरी माँ को चोद रहा हूँ, बता तेरी माँ कैसी है? ‘

चुदते चुदते ऊ ओह आह करते करते वो बोलने लगा,’ मेरी माँ का नाम सजल पटेल है , वो 45 साल की है, उसकी लम्बाई 5 फूट 3 इंच है, शादी के वक्त तो दुबली थी अब मोटी है,’ ‘ मैंने जोर से लंड गांड में डाला और बोला,’ कितनी मोटी है भड़वे ? ‘ कोई 80 किलो होगी
मैंने फिर पानी छोड़ दिया , ऐसे करके सुबह तक उसने मुझे कोई 5 बार खाली किया.

 

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