Hindi Gay sex kahani – दो मुसाफिर

Hindi Gay sex kahani – दो मुसाफिर

विपिन अपनी ट्रेन के कोच में चढ़ा. उसे बड़ी उम्मीद थी की ट्रेन में उसे एक अच्छा सा लड़का मिल जायेगा, एक दिन का सफ़र काटना आसान हो जायेगा. वो पहले चढ़ने वाले मुसाफिरों में से था- अभी तक उसके कोच में ज्यादा लोग नहीं आये थे. अपनी बर्थ पर सामान रख कर वो बाहर चला गया और कोच के गेट पर चिपकी लिस्ट को ध्यान से देखने लगा- कितने लड़के उसके कोच में थे? उसके सामने वाली बर्थ पर एक लड़का था. नाम ऋषभ, उम्र 23 साल, दोनों का गंतव्य स्थल एक ही था.

विपिन वापस अपनी बर्थ पर चला गया और ऋषभ के आने का इंतज़ार करने लगा. थोड़ी देर बाद ऋषभ अपनी बर्थ ढूँढता हुआ आया. विपिन ने उसे गौर से देखा- लम्बाई लगभग पांच फुट सात इंच, रंग गोरा, काली चमकीली आँखें, लम्बे लम्बे बाल, दुबला पतला शरीर. बिलकुल उसकी पसंद का. ऋषभ ने अपना सामान जमाया और बैठ कर पत्रिका पढने लगा. उसने चोर नज़रों से विपिन की और देखा- गेंहुआ रंग, हलकी हलकी मूंछे, बड़ी बड़ी सुन्दर सी आंखे. कद में विपिन उससे एक इंच लम्बा रहा होगा. विपिन ऋषभ को पसंद आ गया.

इतनी देर में और भी यात्री आ गए, और ट्रेन चल पड़ी. विपिन और ऋषभ इस उधेड़बुन में पड़े थे के कैसे बातचीत शुरू की जाये. दोनों एक दूसरे को नज़रों से टटोल रहे थे और दोनों के लंड उनकी अंडरवियर में कैद खड़े हो गए थे. विपिन का तो मन कर रहा था की अभी अपनी जिप खोले और अपना लौढ़ा ऋषभ के मुंह में घुसेड़ दे.
फिर आखिर उसी ने ही बात शुरू की “आप की मैगज़ीन मिल सकती है?”
ऋषभ ने बिना कुछ कहे उसे अपनी मैगज़ीन थमा दी.
विपिन झूटमूट पन्ने पलटने लगा. उसे तो किसी तरह से बात शुरू करनी थी.
“ग्वालियर जा रहे हो?” उसने ऋषभ से पूछा.
“हाँ. और आप?”
“मैं भी वहीँ जा रहा हूँ. क्या करते हैं आप?” विपिन का अगला सवाल था.
“मैं अभी बी एससी कर रहा हूँ, सेकेण्ड इयर में हूँ. आप क्या करते हैं?” अब ऋषभ ने सवाल किया.
“मैं एक प्राइवेट टी वी चैनल के लिए काम करता हूँ- टी वी एटीन नाम सुना होगा?”
“हाँ, बिलकुल सुना है.” ऋषभ ने हामी भरी.


दोनों ऐसे ही बातचीत करते रहे और घुलमिल गए. शाम की ट्रेन थी, इसीलिए अब तक अँधेरा हो चुका था. बाकी यात्रियों ने भोजन करने के बाद अपनी अपनी बर्थ खोल ली और लेट गए. लेकिन हमारे हीरो लोगों को नींद कहाँ आ रही थी… वो तो चुदाई शुरू करने के बारे में सोच रहे थे.
दोनों थोड़ी देर तक अपनी अपनी बर्थ पर कमर झुकाए बैठे रहे. फिर विपिन ने सुझाव दिया “आओ दरवाज़े के पास खड़े होते हैं”.
ऋषभ ने हामी भरी और दोनों दरवाज़े के पास, सिंक के पास, आमने- सामने आकर खड़े हो गए.

विपिन ने फिर बात शुरू की… “तुम अपने घरवालों के साथ रहते हो या हॉस्टल में?”
“होस्टल में” ऋषभ ने बताया.
“फिर तो खूब शैतानी होती होगी? क्या क्या करते रहते हो तुम लोग?”
ऋषभ मुस्कुरा के बोला “कुछ नहीं, रात में देर तक जागते रहते हैं, बकचोदी करते रहते हैं.”
“अच्छा?” विपिन ने शरारत भरी मुस्कान से पूछा “और क्या क्या होता है?”
“और कुछ नहीं. बस..”
“बस? मैंने तो सुना है हॉस्टल के लड़के बहुत शरारत करते हैं… खूब बीयर पीते हैं?”
“हाँ पीने वाले पीते हैं” ऋषभ ने जवाब दिया.
“तुम नहीं पीते?”
“नहीं” ऋषभ ने मुस्कुरा कर जवाब दिया.
“और क्या क्या होता है तुम्हारे होस्टल में? ब्लू फिल्म देखते हो?” विपिन ने सेक्स की बात करनी शुरू की.
“हाँ, कभी कभी”
“अच्छा, मुझे तो लगा की तुम्हारी खुद की ब्लू फ्लिम बनती है बाकी लड़को के साथ करते हुए” विपिन ने छेड़ा
ऋषभ हंस दिया. “क्यूँ? ऐसा क्यूँ लगा?”
“तुम हो ही इतने चिकने ” विपिन मुस्कुराया और अपने हाथ ऋषभ के दोनों कंधो पर रख दिए.
दोनों की नज़रें मिलीं, और दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए.
विपिन ने आगे बढ़ कर ऋषभ के गाल पर चूम लिया.
दोनों के लंड अब टाईट खड़े हो गए.
ऋषभ चौंक कर बोला “कोइ देख लेगा”
“तो फिर चलो … टॉयलेट में चलते हैं.” विपिन ने सुझाव दिया
“टॉयलेट में… !!” ऋषभ अब दांत फाड़ कर मुस्कुरा रहा था “अगर किसी ने घुसते हुए देख लिया तो?’
“कोइ नहीं देखेगा… सब सो रहे हैं” विपिन ने आश्वासन दिया.
ऋषभ ने झाँक कर देखा- सामने की सारी बर्थों पर लोग सोये पड़े थे.
“आ जाओ अन्दर, फिर तुम्हे ढंग से किस करूँगा” इतना कहके विपिन टॉयलेट में घुस गया.
ऋषभ फट से उसके पीछे पीछे घुस आया. विपिन ने फटाफट दरवाज़ा बंद किया और ऋषभ को कंधो से दबोच लिया. दोनों एक दूसरे को प्यासी निगाहों से देखने लगे.
“मेरी जान…” इतना कहते हुए विपिन ने ऋषभ को खींच लिया और उसके कोमल गुलाबी होटों पर अपने होट रख दिए. दोनों एक दूसरे के शरीर से बेल की तरह ऐसे लिपटे जैसे न जाने कितने सालों के बिछड़े प्रेमी मिल रहे हों.
विपिन अपनी जीभ ऋषभ के मुंह में घुसेड़ दी और उसका सर दबोच कर उसकी जीभ से लड़ाने लगा. ऋषभ भी पूरे जोश के साथ विपिन की जीभ से अपनी जीभ रगड़ने लगा. थोड़ी देर तक वो दोनों ऐसे ही एक दूसरे की जीभ का स्वाद लेते रहे. फिर विपिन ने उसके होटों को चूसना शुरू किया. विपिन तो भूखा सांड था. उसने जोर से ऋषभ को दबोचा हुआ था और जोर जोर से ऋषभ के मुलायम मुलायम होटों को चूस रहा था. ऋषभ अब चिल्लाने लगा
“मम…मम्म..”
उसने किसी तरह से अपने होट विपिन से छुड़ाए. “आराम से करो… खा जाओगे क्या?”
लेकिन विपिन ने अभी भी उसे अपनी गिरफ्त में रक्खा हुआ था. बिना कुछ बोले उसने फिर से अपने होट ऋषभ के होटों पर रख दिए और उसकी जीभ चाटनी शुरू कर दी. थोड़ी देर बाद विपिन ने ऋषभ को नीचे बैठा दिया. वो विपिन के सामने फर्श पर उकड़ूं बैठ गया. विपिन ने अपनी पैंट खोली और नीचे सरका दी. उसकी जान्घियों को अन्दर कैद उसका लौढ़ा खड़ा होकर उभर आया था. उसने अपनी चड्ढी भी नीचे खींच दी. विपिन का 8 इंच का मोटा लंड ऋषभ के चेहरे पर तन गया. एक पल को ऋषभ उसके लंड को देखता ही रह गया- बहुत रसीला लौढ़ा था विपिन का, जैसे उसने कल्पना करी थी. उसकी खाल सरक कर नीचे चली आई थी, सुपाड़ा फूल कर कुप्पा हो गया था, नसें उभरी हुईं थी और बड़ी बड़ी गोलियां लटक रहीं थीं.
विपिन ने एक हाथ से अपना लंड पकड़ा , दूसरे से ऋषभ का सर और अपना लौढ़ा उसके मुंह में घुसेड़ दिया. ऋषभ का ध्यान टूटा और वो लंड चूसने में मशगूल हो गया. उसे विपिन का लंड बहुत बहुत पसंद आया, वो उसे अपने होटों में दबा कर, जितना मुंह में ले सकता था, लेकर, चूसने लगा. उसका मन कर रहा था की वो विपिन के लौढ़े का सारा रस पी जाये. इधर विपिन को भी बहुत मज़ा आ रहा था. वो एक हाथ से ऋषभ का कन्धा पकड़े और दूसरे से टॉयलेट की खिड़की पकड़े, ताकि धक्के से वो गिर न जाये, ऋषभ को अपना लंड चूसते हुए देख रहा था और ऋषभ के गरम गरम मुंह और गीली-गीली मुलायम जीभ का आनंद ले रहा था. उसने अपना लंड ऋषभ के मुंह में और अन्दर तक घुसेड़ दिया. ऋषभ का गला फंस गया और वो खांसने लगा. लेकिन अगले ही पल उसने खुद ही लपक कर उसका लंड फिर से लील लिया और चूसने लगा.

विपिन हलकी हलकी आहें भर के चुसवाने का आनंद ले रहा था…
“हहा…… उफ्फ्फ…!!!”
उसकी आहों से ऋषभ को और जोश मिल रहा था. विपिन का तो मन कर रहा थी ऋषभ के मुंह में ही झाड़ दे… लेकिन अभी उसको उसकी गांड का भी आनंद लेना था.
थोड़ी देर तक ऋषभ ऐसे ही उसका लौढ़ा चूसता रहा. बीच बीच में वो उसकी गोलियों को भी चाट लेता था… तब विपिन की जोर की आह निकल जाती थी. वो विपिन का लंड पूरा नहीं ले पा रहा था इसीलिए बीच बीच में उसे ऊपर से नीचे तक और अगल बगल से चाट लेता था.

विपिन थोड़ी देर ऐसे ही मज़े लेता रहा. फिर उसने अपना लंड बाहर निकला.
“खड़ा हो” उसने ऋषभ को आदेश दिया. ऋषभ का भी अब मन था चुदवाने का… उसकी गांड में इतना बड़ा लंड देख कर ज़ोर की खुजली मची हुई थी.
विपिन ने ऋषभ की पैंट और चड्ढी उतरवाई. उसकी गांड बहुत चिकनी और मुलायम थी. विपिन का लंड उसके अन्दर घुसने के लिए उतावला होने लगा. उछल उछल कर फुंफकार मारने लगा. उसने अपने पर्स से कंडोम निकला और तने हुए लंड पर चढ़ा लिया.
उसने ऋषभ को खिड़की की छड़ें पकड़वा कर, झुका कर खड़ा कर दिया और उसके पीछे चला गया. फिर अपनी ऊँगली से उसकी गांड के छेद को टटोलने लगा. बहुत नरम नरम और कोमल गांड थी. विपिन थोड़ी देर गांड में ऊँगली हिलाता रहा.
फिर उसने दोनों हाथ से ऋषभ की गांड फैलाई और लंड का सुपाड़ा उसके छेद पर टिका कर ज़ोर लगाया. ऋषभ ने की बार अपनी गांड मरवाई थी, इसिलए विपिन का लौढ़ा आराम से चला गया.
विपिन का लंड जैसे अन्दर घुसा, ऋषभ के मुंह से हलकी सी आह निकल गयी “उफ़…. उह्ह्ह….!!””
विपिन ने अपना लंड पूरा का पूरा ऋषभ की गांड में घुसेड़ दिया. फिर उसने ऋषभ की कमर को दबोचा और हलके हलके अपनी कमर हिलाने लगा.
भारतीय रेल की द्वितीय श्रेणी शयन यान के टॉयलेट में दोनों चुदाई का आनंद ले रहे थे.
बेचारा ऋषभ, डबल झटके खा रहा था- एक रेलगाड़ी के, दूसरा विपिन के.
विपिन अब मस्त होकर ऋषभ को चोद रहा था. उसके लंड को ऋषभ की मुलायम गांड रौंदने में बड़ा मज़ा आ रहा था.
चोदते-चोदते विपिन ऋषभ पर लद गया और उसके गाल से गाल सटा कर उसके मुंह में अपनी जीभ डालने लगा.
ऋषभ हलके हलके आँहे भर रहा था…
“ऊह्ह्ह…!!”
“हाह्ह्ह…!!”
उसकी आँहे सुन कर विपिन को और जोश आ गया. उसने और ज़ोर से रगड़ना शुरू कर दिया.
3-4 झटके मारने के बाद विपिन ऋषभ की गांड में झड़ गया.

थोड़ी देर तक वो उसी अवस्था में पड़े रहे. ऋषभ इतनी देर तक दोनों के भार को संभाले खिड़की की सलाखें पकड़े झुका रहा. फिर विपिन ने सट से अपना लौढ़ा बाहर निकला. साले की भूख मिट चुकी थी. कंडोम उतर कर उसे फेंका और कपड़े चढ़ा कर दोनों बाहर आ गए.

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