Hindi Gay sex masti – बरसात की रात
Hindi Gay sex masti – बरसात की रात
मेरा नाम विनोद है। जब मेरी नौकरी लगी थी तब मैं एक कसरती लड़का था। मेरा पहला पदस्थापन धार जिले में हुआ था। मैं वहां भी कसरत करता था। खाना पकाने के लिये मैंने एक १८ वर्ष का लड़का रख लिया था। वो मेरे सामने वाले घर में भी काम करता था। वो सुबह और शाम काम पर आता था। उसका नाम बंटी था। ज्यादातर शाम का खाना मेरे यहां ही खा लेता था। मैं रोज़ अपने बदन पर तेल की मालिश करवाता था। मेरी मालिश भी वही कर देता था। शाम को मैं ओफ़िस से आने के बाद मालिश करवाता था।
बंटी सामने वाले घर से काम करके शाम को ७ बजे मेरे कमरे में आ जाता था। सामने वाले घर की मालकिन रीता मुझे कभी कभी शाम का खाना भी भेज देती थी। आज भी वो खाना लेकर आ गई थी।
“विनोद ….. आज मैंने स्पेशल सब्जी बनाई है…. बताना कि कैसी है..”
मैंने उसे धन्यवाद कहा। थोड़ी देर बैठने के बाद वो चली गई। बंटी ने मेरी पेन्ट और बनियान उतार दी। मैं नीचे दरी बिछा कर उल्टा लेट गया। उसने तेल की मालिश करना चालू कर दिया। वो अच्छी मालिश करता था। मालिश करवाते समय मैं मात्र एक वी आई पी की अंडरवियर पहनता था। फिर मैं सीधा लेट जाता था, तब वो मेरे सीने की इत्यादि की मालिश भी कर देता था। उसके हाथ में मालिश की कला थी।
मुझे अचानक लगा कि जैसे किसी ने दरवाजा खोला और बंद कर दिया। मैंने पूछा,” बंटी, कौन था ?”
“कोई नहीं… ” बंटी मुस्कराता हुआ बोला।
मालिश करवाने के बाद मैं नहाने चला जाता था।
दो तीन दिनो से मैं महसूस कर रहा था कि बंटी मालिश करते समय मेरे गुप्त अंगो को भी हाथ लगा देता था। उससे मुझे उत्तेजना महसूस होने लगती थी। आज भी मैं मालिश करवा रहा था। बंटी के हाथ मेरे बदन पर पर तेजी से चल रहे थे। कभी कभी उसके हाथ मेरे अंडर वियर के अन्दर भी घुस जाते थे और चूतड़ों की भी मालिश कर देते थे। मैं उत्तेजित हो जाता था उसके ऐसा करने से मुझे बड़ा आनंद आता था। वो सब समझता था।
वो बोला -”अंकल, अंडरवियर थोड़ा नीचे कर लो… मैं चूतड़ों की मालिश भी कर देता हूँ !”
“अरे नहीं….कोई देख लेगा..”
“आप तो मर्द है फिर क्यों शरमाते हो…” उसने मेरी अंडरवियर नीचे सरका दी। उसने मेरे कसे हुये दोनो चूतड़ों पर तेल लगाया और उन्हे मलने लगा। मैं बहुत ही उत्तेजित हो गया। उसने मेरी चूतड़ों के बीच दरारो में भी तेल डाल दिया था और दरारों के अंदर गाण्ड के छेद में भी तेल मल कर मालिश करने लगा।
मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी। उसने कहा – “साब…. अब सीधे हो जाओ…”
मैं जैसे ही सीधा हुआ, मेरा लण्ड सीधा तना हुआ खड़ा हो गया था। मेरी अन्डर वियर तो आधी उतरी हुई थी….
बंटी हंसने लगा – “अंडरवियर तो ऊपर कर लो….ये देखो कैसा हो गया है…….”
“चल बदमाश…” मैं भी शरमा गया। मैंने अंडरवियर ऊपर खींच लिया। उसने सामने मालिश शुरु कर दी। उसने मेरी अंडर वियर सरका कर लण्ड पर तेल मल दिया। मैं एकबारगी तो कंपकंपा गया। पर मुझे लगा कि वो मेरे लण्ड को और मसल दे और मसलता ही रहे। मैं चुपचाप मलवाता रहा….पर अन्त में एक सिसकारी तो निकल ही गई।
वो धीरे धीरे तेल मलता रहा। मैं बेसुध सा हो गया। तभी मुझे महसूस हुआ कि दरवाजा किसी ने खोला…. मैंने आंखे खोली तो दरवाजे पर कोई नजर नहीं आया। बंटी ने मलना बन्द कर दिया और तेल एक तरफ़ रख दिया।
“साब…. नहला दूं क्या ?.”
“हां यार…. नहला दे अब……”
मैंने नहाते हुए कहा – ” बंटी तू तो एक्स्पर्ट है मालिश करने में…”
“जी हां…. मैं मालिश भी तो करता हूँ…. रीता आंटी की मालिश भी मैं ही करता हूं”
मैं चौक गया – क्या …. आंटी की…. कैसे ..”
“पांव और पीठ की…. वो इसके लिये मुझे २० रुपिये देती है…”
मैंने भी उसे २० रुपये देने का वादा कर दिया। मैं तौलिया लपेट कर बैठ गया था और खाने की तैयारी करने लगे। खाने के बीच में मैंने रीता के बारे में पूछा। तो उसने बताया की रीता भी आपके बारे में पूछती रहती है। मुझे लगा कि वो मुझमें दिलचस्पी रखती है।
बाहर मौसम अच्छा नहीं था…. बरसात के आसार थे। लग रहा था बरसात जल्दी ही शुरु हो जायेगी। बिजली रह रह कर चमक रही थी। बादल भी गरज रहे थे। कुछ ही देर में बरसात शुरु हो गई। जैसा कि यहा आम बात थी कि बरसात शुरु होते ही बिजली चली जाती थी। वही हुआ, बिजली गुल हो गई।
काफ़ी देर हो गई…. बरसात रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी….मैं बिस्तर पर लेट गया। बंटी भी वहां आ गया। मैं कब सो गया मुझे पता ही नहीं चला। बन्टी भी मेरी बगल में आकर सो गया। रात को मेरी नींद खुल गई। मैंने तौलिया उतारा और अंडरवियर में बंटी की पीठ से चिपक कर सो गया।
बरसात अपनी तेजी पर थी। मुझे लगा बंटी से चिपकने के कारण मेरे लण्ड में कड़ापन आने लग गया था। मेरा लण्ड उसके शरीर से स्पर्श होने के कारण खड़ा हो गया था। वो बंटी के चूतड़ों पर लग रहा था। मैंने अपने को उससे अलग किया, लेकिन बंटी ने जानकर अपने चूतड़ पीछे सरका कर मेरे लण्ड से सटा दिया, लण्ड फिर से एक बार और उसकी चूतड़ों की दरार में घुस गया। मेरे शरीर में तेज सिरहन दौड़ गई। मैं वैसे ही पड़ा रहा पर लण्ड दरारों में घुसा हुआ फूलने लगा। और कड़ा हो गया। उसने सिर्फ़ चड्डी पहन रखी थी।
मुझे कड़क लण्ड होने से बहुत तकलीफ़ होने लगी थी। मैंने अंडरवियर से लण्ड को बाहर निकाल कर आज़ाद कर लिया। मेरा लण्ड अब नंगा था और खुला हुआ था। मुझे लगा कि बंटी ने जानकर अपनी गान्ड और पीछे सरका कर मेरे लन्ड को गाण्ड से चिपका रहा था। अब मुझसे भी मेरा धैर्य छूट रहा था। मैंने अब अपना लण्ड उसकी गाण्ड की दरारो में घुसा दिया और बाहर से ऐसे ही रगड़ने लगा।
जब उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने उसकी चड्डी का नाड़ा खोल दिया और चड्डी नीचे सरका दी। अब बंटी ने अपने चूतड़ ढीले कर दिये और लण्ड को छेद तक जाने का रास्ता दे दिया। मैंने अपना लण्ड उसके चूतड़ों की दरार में घुसा डाला और छेद तक पहुंचा दिया।
वो सोया नहीं था और उसे मजा आ रहा था। मुझे लगा कि छेद बहुत टाईट है, मैंने अपना थूक उस पर लगा दिया। मैं लण्ड धीरे धीरे गाण्ड के छेद पर दबाने लगा..और मेरे लण्ड की चमड़ी ऊपर तक सरक गई और लाल सुपाड़ा निकल आया और छेद में घुस गया। बंटी ये जताने लगा कि वो नींद में है।
सुपाड़े के अन्दर जाते ही वो बोल उठा,” आह…. धीरे धीरे डालना …. मजा आ रहा है….”
“हां बंटी…….तुझे अच्छा लग रहा है…”
“आऽऽऽऽऽऽह …. हां…. और डालो ना…”
मैंने अब अपने आप को सेट किया और जोर लगा कर कर अन्दर घुसाने लगा। उसकी गान्ड का छेद मुलायम था…..मुझे घुसाते हुये बड़ा आनन्द आ रहा था। मैंने भी अपना हाथ बढा कर उसका लण्ड पकड़ लिया। उसका लण्ड भी मोटा और लम्बा था…. अभी खूब तन्ना रहा था। मैंने उसका लण्ड जोर से पकड़ कर कर अपने लण्ड को गाण्ड में पूरा घुसेड़ दिया।
अब मैं उसके लण्ड को मुठ मारने लगा और उसकी गाण्ड चुदाई करने लगा। बंटी अब मस्त हो उठा था। मुझे भी भरपूर मजा आ रहा था। हम दोनों सिसकारियां भर रहे थे। बंटी ने एक हाथ पीछे करके मेरे चूतड़ भींच लिये थे। और अपनी ओर खींचने लगा। अब मुझे भी धक्के मारने में सहुलियत हो रही थी। मेरी कमर अब मंथर गति से हिल रही थी और लण्ड आराम से सटासट आ जा रहा था।
मुझे भी असीम आनन्द आने लगा था। उसके लण्ड को मुठ भी मार रहा था…. वो आनन्द से अपने शरीर को हिला रहा था। मैं बंटी की गाण्ड से और चिपकता जा रहा था। और अब धक्के भी जम कर लगा रहा था। मेरी सिसकारियां भी बढ गई थी।
बंटी भी सिसकारियां भर रहा था-” हाऽऽऽऽय …. लण्ड जोर से मसल दो ना…….. और जोर से रगड़ो….जोर से मुठ मारो”
मेरे तन में आग लगी हुई थी….वो भी तड़प रहा था …. बेहाल हो रहा था …. अचानक ही उसके लण्ड ने वीर्य छोड़ दिया । उसकी तेज पिचकारी निकल पड़ी। उसका वीर्य मेरे हाथों को गीला कर रहा था। उसकी गाण्ड भी इसके साथ भिंच गई। मैंने उसे उल्टा लेटा दिया और उसकी गाण्ड पर चढ गया। अब एक बार फिर से लण्ड गाण्ड में घुसा कर पूरे जोर से उसकी गाण्ड चोदने लगा। चूंकी वो झड़ चुका था इसलिये उसकी गाण्ड भी ढीली हो गई थी लण्ड तेजी से आ जा रहा रहा था और अब मेरा भी लण्ड जवाब देने लगा था….और ….और मेरे लण्ड ने भी वीर्य छोड़ दिया।
मैं जोर लगा कर अपना वीर्य उसकी गाण्ड में भरने लगा। धीरे धीरे सारा वीर्य निकल गया….. मैं वैसे ही उसके ऊपर लेट गया। शान्त होने पर मैं एक तरफ़ लुढक गया। मुझे अब होश आया। और लम्बी लम्बी सांसे लेने लगा। बाहर बरसात अब भी अच्छी खासी हो रही थी। कुछ ही देर में मैं सो गया।
सुबह आंख खुली तो बरसात थम चुकी थी। पर ये क्या ? मैं चौंक कर खड़ा हो गया। मैं नंगा ही था…. बंटी भी नंगा ही था। उसके चूतड़ों पर वीर्य लगा हुआ था…. टेबल पर चाय और नाश्ता लगा हुआ था। मैं घबरा गया…. यहां कोई आया था…. बंटी सो रहा था। मैंने तुरन्त तौलिया लपेटा और देखा तो दरवाजा में अन्दर से कुण्डी नहीं लगी थी।
मैंने बाहर झांका तो रीता अपने घर के बाहर की सफ़ाई कर रही थी। मुझे देख कर वो मुस्कुराई। सफ़ाई बंद करके वो मेरी तरफ़ आने लगी…. मैंने पास पड़ी कमीज पहन ली। वो दरवाजा खोल कर अन्दर आ गई।
” विनोद जी…. दरवाजा तो बन्द कर लिया करो….”
“आप कब आई थी….रीता जी”
“मैं बस जी….बिल्कुल सही समय पर आई थी…. तुम्हें जी भर कर देख लिया…. लगता है मौसम ने रात को गड़बड़ी कर दी…”
“ना….नहीं…. वो तो ऐसे ही ना….रात को तौलिया खुल गया था…”
“फिर भी…. बिना अंडरवियर के …. और बेचारा बंटी…. अपना दम उस पर निकाल दिया….” और हंस पड़ी।
“रीता जी…. बस करो ना..”
” ओह हां सॉरी …. पर ….” रीता ने मुस्करा कर मेरे लण्ड की तरफ़ देखा।
“पर क्या……..”
“मजा आया रात को….”
” रीता जी….वो लड़की थोड़ी है…. वो तो….”
“पर मैं तो लड़की हू ना….। उसके स्वर में सेक्स भरा अनुरोध था।
रीता के मन में हलचल हो रही थी।
“रीता जी ….मुझे शरम आ रही है….मेरा मजाक मत बनाओ….रात को मेरी वजह से सब गड़बड़ हो गई थी….”
“क्या गड़बड़ हुआ मुझे क्या बंटी से पूछना पड़ेगा” वो आगे बढती ही जा रही थी। साफ़ जाहिर था कि उसे मालूम था कि मैंने आज बंटी की गाण्ड चुदाई की है। मैंने भी सीधे ही कहा -”रीता जी ….! एक बात पूछूं….?”
” हां….पूछो…..”
“आपके दिल में कुछ हलचल है ना….”
उसने मुझे वासना की नजर से देखा – ” विनोद !!!……”
मैंने धीरे से दोनो हाथों से उसका चेहरा थाम लिया । उसने अपनी आंखें बंद कर ली। मेरे होंठ उसके होंठो की तरफ़ झुकने लगे। हमारे होंठ आपस में मिल गये। मेरे हाथ उसके उरोजों से चिपक गये। मैंने रीता उरोजों को मसलना चालू कर दिया। उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी।
“उफ़्फ़ बस करो….क्या कर रहे हो….”
मैंने उसके हाथ पकड़े और बाथरूम में ले आया…. और उससे लिपट गया…. उसके अंगों को बेतहाशा मसलने लगा।
” छोड़ो ना….ये क्या कर रहे हो….” उसने मुझसे और चिपकते हुये कहा। फिर एकएक दूर हटते हुए मुझ पर तिरछी नज़र डालते हुए शरमा कर भाग गई।
मैंने बंटी को उठाया। उसने उठ कर कपड़े पहने और नाश्ता किया और चला गया। सारा काम निपटा कर मैं बाथ रूम में नहाने चला गया। बंटी के जाने के बाद रीता वापस आ गई।
उसने मुझे धीरे से आवाज दी। मैंने कहा,” यहीं आ जाओ…. बाथ रूम में !”
“उसने मुझे बाथ रूम में अन्दर झांका। और मुझे देखती ही रह गई। मैं नंगा नहा रहा था। मेरा लण्ड तो वैसे ही खड़ा था। मुझे देख कर उसने अपना मुंह हाथों में छिपा लिया। मैंने उसने हाथो को हटा कर उसे चूम लिया और उसके हाथ को अपने लण्ड पर रख दिया-”रीता….प्लीज पकड़ लो इसे….”
रीता ने शरमाते हुए मेरा लण्ड पकड़ लिया और झट से मुझसे लिपट गई। मैंने उसे झरने के नीचे खींच लिया। वो भीगने लगी। वो सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाऊज में थी। उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी। भीगते ही उसके चूंचियां ब्लाऊज में से दिखने लगी।
मैंने उसके बोबे पर अपना हाथ रख दिया और होले होले दबाने दबाने लगा। उसका पेटीकोट का नाड़ा मैंने खोल दिया। पेटीकोट नीचे पांवो के पास गिर पड़ा। दूसरे ही पल मैंने उसका ब्लाऊज उतार दिया। उसकी आंखे बन्द थी। उसने अपने आप को पूरा समर्पित कर दिया था।
झरने के नीचे मेरा लण्ड उसकी चूत से रगड़ खाने लगा था। वो भी अपनी चूत को मेरे लण्ड से चिपका रही थी। मैंने उसे घुमा दिया और उसकी पीठ से चिपक गया। मुझे उसकी गोल गोल गाण्ड बहुत प्यारी लगती थी। मैंने अपना लण्ड उसकी चूतड़ों में घुसा दिया। उसने अपनी गाण्ड ढीली छोड़ दी। पानी हमारे शरीर पर गिर रहा था। मैंने उसकी गीली गाण्ड में अपना लण्ड दबा दिया। लण्ड उसकी गाण्ड के छेद में घुसता चला गया। वो सिसक उठी। जरा सा और जोर लगा कर लण्ड को पूरा अन्दर तक बैठा दिया।
मेरा लण्ड मीठी गुदगुदी से भर गया। मैंने उसके बोबे पकड़ कर उसका शरीर अपने से चिपटा लिया। उसकी आंखे अभी भी बन्द थी। अपनी गाण्ड में वो लण्ड का पूरा आनन्द ले रही थी। मैंने पीछे से धक्के मारना जारी रखा। मैंने अब एक हाथ छोड़ कर उसकी चूत पकड़ ली और दबा दी।
“इसे छोड़ो विनोद…. वरना मैं झड़ जाऊंगी……..”
मुझे लगा वो उत्तेजित तो पहले ही से थी। कहीं सच ही में ना झड़ जाये। मैंने अपना लण्ड उसकी गाण्ड से निकाला और उसे अपनी बाहों में उठा कर बिस्तर पर ले आया। उसे सीधा लेटा कर मैं उस पर चढ गया। और उसके शरीर पर अपना बोझ डाल दिया। उसने भी मुझे अपने दोनो हाथों से कस लिया। उसके होंठो पर मैंने अपने होंठ रख दिये। और कमर उठा कर लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। उसके मुख से एक प्यारी सी सिसकारी निकल पड़ी,”मेरे राजा…. हाय…. इसी का इंतज़ार था…. हाय मेरी चूत को अब शांति मिली….”
मेरा लण्ड बुरी तरह से उतावला हो रहा था। मैंने भी अब बेरहमी से उसे चोदना चालू कर दिया। दोनों की कमर तेजी से चल रही थी। लग रहा था कि जनम जनम से प्यासी हो। दोनों के मुख से सुख भरी चीखें निकल रही थी। अब रीता की बारी थी उसने कोशिश की कि वो मेरे ऊपर आ जाये।
मैंने उसका इशारा समझ लिया और एक पलटी मार कर उसे अपने ऊपर चढा लिया। रीता ने अपनी चूत में सट से लण्ड वापस डाल लिया और और पांव सीधे करके मेरे पर लेट गई। उसकी कमर धीरे धीरे चल रही थी। उसने पांव पास करके अपनी चूत तंग कर ली थी। अच्छी तेज रगड़ लग रही थी। मेरा सुपाड़ा घर्षण से तेज उत्तेजना दे रहा था।
रीता बोली,” राजा…. मेरी चूंचियां मसल दो…. निपल खींचो…. हाय जल्दी करो….”
मैं अब निर्दयता से उसके बोबे मसकने लगा…. निपल खींच खींच कर मलने लगा। वो निहाल हो गई। मस्ती में उसकी कमर तेज चलने लगी।
“हाय…. और जोर से…. मेरे राजा…. चोद दो मुझे………… सारा निकाल दो मेरा कस बल….”
“मेरी रानी…. लगा…. जरा जोर से धक्का लगा…. देख मेरा लण्ड तेरी चूत का कैसा प्यासा हो रहा है….”
“हाय रे….विनोद…. मुझे कैसा कैसा लग रहा है…. मैया री…. चुद गई रे मैं तो….”
मुझे लगने लगा कि रीता चरमसीमा पर पहुंच चुकी है। चूत काफ़ी पानी छोड़ रही थी। फ़च फ़च की आवाजें तेज हो चली थी। उसकी मेरे शरीर पर पकड़ तेज होने लगी थी।
“येएएहऽऽ…. मेरे राजा…. ईईईईह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्…. चुद गई….चुद गई…. हाय्…. ओऽऽऽऽह …. माई रेऽऽऽऽऽ…….. गई मैं तो…. विनोद॥…. निकल गई…. हाय…….. ये निकला….निकला….हाआईईईई रे….”
लगभग चीखती सी रीता झड़ने लगी…. मैंने भी अपने लन्ड को उसकी चूत में गड़ा कर झड़ने की कोशिश करने लगा…. पर नहीं निकला। वो झड़ती रही और मेरे शरीर पर निढाल सी पड़ गई। मैंने पलटी मार कर उसे फिर से नीचे ले लिया और उसकी जांघों पर बैठ गया…….. और मुठ मारने लगा। तेज पिचकारी के साथ मेरा वीर्य छूट पड़ा तो उछल कर रीता के उरोजों पर जा गिरा। उसने हाथ से वीर्य अपने बोबे पर फ़ैला दिया। मेरा लण्ड झटके दे दे कर वीर्य छोड़ रहा था। अन्त में रीता ने मेरा लौड़ा पकड़ कर बचा खुचा वीर्य भी निचोड़ लिया। मैं उसके ऊपर से हट गया और बिस्तर से नीचे आ गया। रीता भी कुछ देर बाद बिस्तर पर बैठ गई
“विनोद…. तुम तो कमाल के हो…. मेरी तो पूरी जान ही निकाल दी….”
“नहीं रीता…. तुमने तो मुझे आज निचोड़ डाला…. मेरी तो आज जिन्दगी सफ़ल हो गई….”
रीता हंसने लगी। मैंने कहा – “आओ अब नहा लेते हैं…..”
हम दोनो शावर के नीचे जा कर खड़े हो गये…. और नहाने लगे…. जाने कब हम फिए होश खो बैठे…. और हमारे शरीर फिर से चिपकने लगे…. लण्ड खडा हो गया…. रीता मेरी बाहों में कसने लगी…. लन्ड एक बार फिर रीता की कोमल चूत में घुस पड़ा…….. और ….और….दोनों फिर से सिसकारियां भरने लगे……..