Hindi Gay sex story – कैसे बना मैं एक चुदक्कड़ गाँडू
कैसे बना मैं एक चुदक्कड़ गाँडू
प्रेषक : सन्नी
सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों को सन्नी शर्मा का कोटि कोटि प्रणाम !
दोस्तो ! अभी तक मैंने अन्तर्वासना में लड़के और लड़की के बीच हुई चुदाई के बारे ही पढ़ा है। मैं इस वक्त कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का कोर्स कर रहा हूँ। मैं देखने में चिकना हूँ और सच पूछो तो मैं कहने के लिए लड़का हूँ मगर मेरे अन्दर एक औरत बचपन से घर कर चुकी है। मैं बचपन से ही लड़कियों के साथ गुड्डे-गुड़िया का खेल खेलता, चोरी चोरी मम्मी की ड्रेस पहनता और जब घर अकेला रहता तो लड़की की तरह सज-संवर कर तैयार होता था। इन हरक़तों से मुझे अलग सा आनंद मिलता !
मैं स्कूल में भी लड़कियों के साथ ही रहने की कोशिश करता। सभी लड़के स्कूल में मुझे लड़की कहते ! बचपन से लड़कियों के साथ रहा था, उनके खाने-पीने में ध्यान देता, उनकी तरह गोलगप्पे-चाट वगेरह खाता। मेरे शरीर की बनावट लड़कियों जैसी है, मेरी छाती बहुत कोमल है, १६ साल की लड़की जितनी मेरी छाती है।
मैंने कई बार अपनी लड़की दोस्तों को उनके बॉय फ्रेंड के साथ अकेले में स्कूल के खाली कमरों में अश्लील हरक़तें करते देखा। लड़कियों में से पूजा से मेरे बहुत अच्छे से दोस्ती और बोलचाल है, वो अक्सर मेरे घर आती नोट्स के लिए। वो एक बहुत बड़े अमीर परिवार की छोरी है।
एक रोज़ मैं उसके घर चला गया, दोपहर का समय था, उस वक्त उसके घर कोई नहीं होता था। जब मैंने दरवाज़ा बंद देखा तो मैं दीवार से कूद कर अन्दर चला गया। हंसने के आवाजें सुन कर मैंने खिड़की के पास पहुँच कर देखा कि मेरे ही स्कूल का एक लड़का था, पूजा उसका लण्ड चूस रही थी, वो अपनी स्कर्ट में बार बार उसका हाथ डलवाती, कभी चुचियों में भी।
मैं वहाँ से चला आया। उस लड़के का लौड़ा देख मेरी गाण्ड में कुछ होने लगा, ना कि पूजा को नंगी देख कर।
उस दिन से मैंने भी किसी का लण्ड चूसने की सोची। स्कूल के लड़के से यह सब करके मेरी और बदनामी हो जाती, पहले ही सभी मुझे छेड़ते हैं।
मैं रोज़ शाम को ट्यूशन पढ़ने जाता था। रास्ते में एक नाशपाती का बाग़ है, वहाँ रोज़ एक मोची मुझे मिलता था, बिहार का था। वो मेरी गाण्ड को देख रोज़ अजीब इशारे करता। पहले मैं कुछ न कहता, लेकिन अब वो देखके लौड़ा खुजलाता। एक रोज़ वो नहीं मिला लेकिन जब मैं वापिस आ रहा था, तब अंधेरा हो चुका था। आज वो अपना सामान पहले ही पास में अपने कमरे में रख आया था। वो दिन में मोची का काम, रात को बाग के चौंकीदार का काम करता था। बीच बाग़ में उसका कमरा था। आज उसको देख मैंने कहा- क्या बात है भाई? तुम रोज़ मुझे क्यों देखते हो?
वो बोला- तेरी गाण्ड मारनी है !
मैंने कहा- चल हट !
बोला- तू क्यों देखता है?
मेरे पास जवाब नहीं था। वो थोड़ा पास आकर अपने हाथ मेरी गोल गाण्ड पे हाथ फेरने लगा।
सीईईईइ !
फ़िर मेरा हाथ पकड़ उसने अपने लौड़े पे रख दिया और पास आकार धीरे से बोला- चल कमरे में !
दोस्तो जैसे उसने मुझे पेंडुलम दिखा बस में कर लिया हो, मैं बिना बोले उसके पीछे उसके कमरे में चला गया, उसने कुण्डी लगा दी। उसने अपनी पैन्ट उतार कर किल्ली पे टांग दी, फ़िर शर्ट भी। वो सिर्फ़ कच्छे में था, उसका लौड़ा खड़ा था। मोटा ताज़ा लौड़ा देख पूजा याद आई। उसने मेरी कमीज़, पैन्ट सब उतार दी और मुझे लिपटने लगा। मेरे अन्दर की लड़की जागी, वो मेरे निप्प्ल मसलने लगा, मम्मे दबाने लगा !
सीईईईइ क्या मजा था यार !
मैं घुटनों के बल बैठ उसके लौड़े को सहलाने लगा और अपने आप ही उसका ६ इंच का लौड़ा चूसने लगा, चूमने लगा।
वो बोला- साले दबा दबा के चूस !
साथ में वो मेरी गाण्ड थपथपा रहा था। उसने थूक से ऊँगली गीली कर मेरी गांड में डाली और आगे पीछे करने लगा और फ़िर दो ऊँगली !
वो भी पहली बार किसी से लौड़ा चुसवा रहा था। उसने अपना सारा माल मुँह में भर दिया, कुछ मेरी कोमल छाती पे भी गिरा। मैं कपड़े पहनने लगा तो उसने रोक दिया और बोला- चुदेगा तेरा बाप? गांडू ! चल खड़ा कर दे ! उसने ज़ोर से थप्पड़ मारा।
मैं भी रुक गया और उसके लौड़े को फ़िर मुंह में भर लिया। उसका फ़िर खड़ा हो गया, उसने मुझे घोड़ा बना लिया और सरसों का तेल अपने लौड़े पे लगा कुछ ऊँगली से मेरी गांड में भी लगा दिया और अपने लौड़े का टोपा मेरी मोरी पे रख धक्का दिया।
हाय, मर गया ! छोड़ मुझे ! प्लीज़ छोड़ दे !
दूसरे झटके से आधा लौड़ा अन्दर घुस गया। मैं दर्द से तड़फ रहा था, वो बिना रहम किए पूरा डालने में लगा था। मैं चिल्लाने लगा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। वो ज़ोर जोर से मुझे चोदने लगा। कुछ पल बाद मुझे थोड़ा आराम मिला और अब उसकी रगड़ मुझे अच्छी लगने लगी। उसके बाद उसने सीधा लिटा के अपने कंधों पर मेरी टांगें रख कर फ़िर लौड़ा मेरी गाण्ड में डाल दिया।
मुझे बहुत मज़ा आने लगा। किसी मर्द के नीचे लेट कर वो भी नंगे, वो साथ साथ मेरे मम्मे चूसने लगा और ६-७ मिनट बाद वो झड़ गया और मेरी सारी खुजली उसके गरम माल से मिट गई। वो मेरे ऊपर ही लुढ़क गया। हम दोनों नंगे एक दूसरे की बाँहों में लेटे थे।
वो कमरे में एक और बन्दे के साथ रहता था, वो बन्दा राज मिस्तरी का काम करता था। वैसे मोची के मुताबिक वो रात लेट आता था। तभी वो दूसरा बन्दा आ गया। कुण्डी ठीक से लगी नहीं थी वो सीधा कमरे में घुस आया और मुझे देख कर बोला- पुरषोत्तम ! यह गाँडू कहाँ से आया?
उसकी आँखों में वासना के डोरे देख मैं घबरा सा गया।
वो बोला- चल तू भी जा जाकर खाना खा आ ! मैं हूँ यहीं पे !
मोची चला गया। मैं अभी कपड़े पहनने लगा था कि उसने रोक लिया और बोला- मुझे खुश कर दे साले !
मैंने मना करने की बजाये बोला- नहीं देर हो गई है, पहले ही घर वाले परेशान होंगे।
वो बोला- साले ! खींच के दूंगा कान के नीचे ! चल पास आकर ख़ुद ही लण्ड निकाल !
मैं डरता हुआ पास गया और बोला- आज जाने दो ! कल सुबह आऊंगा !
वो बोला- चल चूस ही दे थोड़ा, हाथ से निकल दे पानी !
बाप रे बाप ! उसका लौड़ा देख मैं डर गया। बहुत सॉलिड था, मैं उसको पकड़ मुठ मारने लगा और फ़िर चूसने लगा। अंदर से मैं बहुत खुश था कि जिस लौड़े की मैं तलाश में था वो आज एक नहीं दो मिले !
करीब पाँच मिनट में मैंने उसके लौड़े को चूस चूस उसका माल निकाल दिया। उसने सारा माल मेरी नंगी गांड पे डाल दिया, झड़ने से पहले उसने मुँह से निकाल लिया था और गांड पे फव्वारा छोड़ दिया।
दोस्तों कैसी लगी मेरी पहली चुदाई की दास्ताँ !
अगले दिन मैं उसके बताये समय के मुताबिक जब मोची निकल गया तो मैं अंदर घुस गया और फ़िर ?????????
अपना चुदाई का यह किस्सा मैं अगले भाग में डालूँगा।
आप के जवाबों का इंतजार रहेगा !