खेतों में जमकर चुदाई की हिंदी गे सेक्स कहानी: 1
हिंदी गे सेक्स कहानी: मेरे दोस्तों… आप सब के इतने प्यार का आभार । हालांकि मैं और नहीं लिखना चाहता था पर आप सब की फरमाइश पर मुझे और लिखना पड़ा !! जैसा के आप सब जानते ही हो के मेरा नाम आशु है । में हरियाणा के यमुना नगर का रहने वाला हू….!! मेरी कोशिश रहती है के आप सब के खतों का जवाब दू । ऐसा नहीं के मुझे लिखने का वक़्त कम मिलता है , लेकिन कुछ हो तो लिखू न ।
इस बार ठण्ड बहुत ज़्यादा पड़ी और इत्तेफ़ाक़ से मैं हरयाणा के यमुना नगर के आस पास में ही था । छोटे शहरों में एक तो जगह नहीं होती और कुछ लड़के बेवकूफ होते होते हैं । इस बीच एक दिन मैं छुट्टी पर था और बोर हो रहा था । इस बीच एक गे APP पर एक मैसेज आया तो मैंने चैट शुरू कर दी । लड़का पास के गाँव का था । उसने कहा के वो वर्स टॉप है और मैंने बताया के मैं वर्स हूं ।
फिर उसने अपने छरहरे शरीर और लम्बे लोडे के तस्वीर शेयर की तो मैं उलझ गया । हालांकि मुझे सिर्फ वर्स पसंद हैं , लेकिन ठरक दिमाग में चढ गई और मैं मान गया । अब समस्या थी प्लेस की तो वो बोला यहाँ गाँव तक बाइक पर आ जाओ , आगे वो काफी खेत जानता है , तो कोई दिक्कत नहीं होगी और ठण्ड मैं वहां जल्दी से कोई आता भी नहीं. मैं शाम में खुद ही अपनी बाइक से निकला उसे लेने के लिए । मेरा भी बहुत मन कर रहा उसका रसीला लंड चूसने का ।
अमित अपनी बताई जगह पर तैयार खड़ा था। मेरे पहुँचते ही वो लपक कर मेरे पीछे बैठ गया और मुझे पीछे से दबोच लिया । मैंने उसका खड़ा लौड़ा अपनी गांड पर महसूस किया । अमित पीछे से मेरी कमर सहलाने लगा। हम दोनों सेक्स के लिए बेचैन थे। अमित का गाँव मेरे घर से ज़्यादा दूर नहीं था, और बिना हेलमेट ही गलियों से होते हुए मैं निकल पड़ा था। आप मेरी जल्दी को समझ सकते हैं । हम दोनों उसी तरह चिपके हुए बाइक पर चले जा रहे थे। जिस रस्ते से जा रहे थे, वहाँ खेत और वीरान जंगल के अलावा कुछ नहीं था।
“आशु रुको ” अचानक अमित बोला।
मैंने तुरंत ब्रेक मारा।
वहाँ, उस खेत के अंदर की तरफ चलो ”
क्यों? क्या हुआ ” मैंने हैरान होकर पुछा । अभी उसका गाँव थोड़ी सी दूर था
चलो तो सही यार… ज़्यादा सवाल मत पूछो कोई देख न ले ।”
मैं सड़क से हटकर एक खेत की पगडण्डी पर बाइक ले आया। आस-पास पेड़, ऊँची खलिहान के अलावा कुछ नहीं था।
मुझे कुछ अजीब सा भी लगा, खैर थोड़ी देर इधर उधर देखने के बाद उसने मेरे होठ चूसने शुरू कर दिए .. और पता ही नहीं लगा के वो कब मेरी जैकेट खोल कर टी शर्ट उठा कर मेरे निप्पल चूसने लगा था… मदहोश सा कर दिया उसने निप्पल चूस चूस कर ।
फिर चैन खोल कर बोला – आओ चूसो।
उसने झट से अपना लौड़ा बाहर निकाला । मैं बाइक से उतर गया। आसपास नज़र दौड़ा कर देखा। कोई नहीं था सिवाए ऊँची खलिहान के । साँझ का झुटपुटा भी हो चुका था।
अमित अपनी कमर बाइक पर टिका कर, और टांगें फैला कर खड़ा हो गया। उसका मोटा रसीला लौड़ा वैसा का वैसा खड़ा था। अमित का लौड़ा लगभग साढ़े सात इंच का था, मोटाई भी काफी थी।, उसके लंड से पेशाब और वीर्य की मिलीजुली गंध आ रही थी । उसका लंड इतना मोटा था के मेरा पूरा मुँह भर गया , अगले ही पल उसने मुझे कंधे से पकड़ कर अपने सामने बैठा दिया ।
मेरी भी हवस अब बेकाबू हो चुकी थी। ऊपर से अमित के मोटे लम्बे लोडे को देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया था। अब से पहले, न जाने कितनी बार मैं गदराये लौड़े चूस चुका था। लेकिन अभी उसका लंड देख कर मेरे मुँह मैं पानी आ गया था। मैं घुटनो के बल बैठ गया और उसकी कमर पर हाथ टिका कर उसका लौड़ा चूसने में मस्त हो गया। जैसे ही मैंने उसका लंड अपने गर्म , गीले, मुलायम मुँह में लिया उसकी आह निकल गई
“आह ह्ह्ह…”
आह लेकर, मुझे और चूसने के लिए बोलता जा रहा था । उसे कितना मज़ा आ रहा होगा , आप उसकी आँह से जान सकते थे। मैं भी मज़ा लेकर चूसे जा रहा था। मैंने उसका लौड़ा पूरा का पूरा अपने मुँह में ले लिया और खूब प्यार से चूसे जा रहा था। मैं उसके लौड़े के हर एक भाग के स्वाद का अहसास लेना चाहता था। मेरी जीभ उसके लंड के साथ उसके गोटों पर भी घूम रही थी अमित भी मेरा सर दबोचे, मेरे बाल सहलाता, आँह लेता चुसवाये जा रहा था।
“आह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह ”“आशु… मेरी जान… चूसते जाओ…”
“उफ…चूसो मेरा लौड़ा…आह्ह्ह…।”उसका लंड मेरा गला चोक कर रहा था, लेकिन फिर भी मैं चूसने में लगा हुआ था। मैंने करीब दस मिनट और उसका लंड चूसा और फिर वो आँह लेता मेरे गले में अपना वीर्य गिराने लगा।
उह्ह्ह…।””स्…हहा…”“उफ…”
मुझे लगा अब शायद हम वापिस जाएंगे , लेकिन अमित का ये इरादा नहीं था , वो बोला “मज़ा गया आशु … क्या मस्त चूसते हो। लो और चूसो।”
उसने अपना लौड़ा मेरे मुँह में घुसेड़े रखा,निकला ही नहीं। मैं हैरान सा फिर से से लपर-लपर उसका लंड चूसने लगा।
“आह्ह्ह… मेरी जान… चूसते जाओ मेरा लौड़ा… बहुत मज़ा आ रहा है… आशु … ऊओह… और चूसो…” चुसवाते-चुसवाते अचानक से उसने अपना लंड बाहर खीचं लिया । अब शायद अमित से नहीं रहा जा रहा था, उसका मन चुदाई का हो रहा था। उसका लंड फिर खड़ा हो गया था मुझको पता चल गया के वो मेरी गांड मारने वाला है
“आओ आशु तुम्हे चुदाई का मज़ा दू …”
यहाँ इस जगह”?
हालाँकि वो जगह बिलकुल सुनसान थी और अब अँधेरा भी घिर चुका था, लेकिन मैं झिझक रहा था।
हाँ। जब चुसाई हो सकती है तो चुदाई क्यों नहीं ? अपनी जीसं उतारो।”
लेकिन कैसे”
अरे बताता हु , जल्दी करो, जीसं उतारो ”
उसने मेरी जीसं का बटन खोल दिया और चड्ढी समेत जीसं को नीचे घसीट दिया । उसका विकराल लंड पूरी तरह आज़ाद होकर ऐसे दिख रहा था जैसे कोइ दबंग गुंडा जेल से छूटा हो। वो कामातुर सांड की तरह अड़ा हुआ था। उसका लंड तोप की तरह खड़ा, चुदाई के लिए तैयार था।
“तुम मोटरसाइिकल पर हाथ टिका कर झुक जाओ, मैं पीछे से अपना काम करूँगा ।”
मैं गिड़गिड़ाया : यार, प्लीज धीरे करना… मुझे ज़्यादा आदत नहीं है। और मेरी टाइट भी इतनी है जैसे सील पैक हो , (यकीन मानो , आज भी मेरी इतनी ही टाइट है). लेकिन उसके सर पर तो जैसे नशा सवार था , मैं मुड़कर बाइक पर झुक कर खड़ा हो गया। अपने हाथ बाइक पर टिका दिए ।
उसने अपना लण्ड मेरे गांड के छेद पर रखा, और हल्का सा जोर लगाया। मेरा गांड टाइट होने की वजह से लण्ड नही घुस पाया। उसने थूक लगा कर थोड़ा और ज़ोर लगाया तो उसके लण्ड का सिरा मेरे गांड के छेद में घुस गया! मैं एकदम से चिल्ला उठा!
आहा! मरर जाऊँगा! बहुत दर्द हो रहा है!
इसपर वो मुझे प्यार से बोलने लगा- जानू थोड़ा झेल लो! फिर मज़ा आएगा!
फिर वो पीछे से मेरे चूचे को मसलने लगा! मुझे थोड़ा अच्छा लगा! जैसे ही उसने मेरा ध्यान भटकता महसूस किया , तभी उसने एक ज़ोरदार धक्का लगाया और उसका काफी लण्ड मेरे अन्दर चला गया। मुझे ऐसा लगा! जैसे किसी ने मुझे आग में जलाया हो! पर, अमित वहीँ रुक गया ! धीरे धीरे! दर्द कम होने लगा! फिर वो अपना लण्ड अंदर बाहर करने लगा। मैं बहुत तेज़ आहें भर रहा था
आहह अमित ! छोड़ दो मुझे!
अह्ह्ह्ह…. ह्ह्ह….ऊऊह्ह्… ”
लेकिन अब मुझे दर्द कुछ कम हो गया था, अमित का लौड़ा मेरी गांड की खुजली दूर कर रहा था । मैं अब सिसकारियां ले रहा था,
“आअह्ह… आह्ह्ह आह्ह्ह…। ” “उफ… ओ ओओहह्… ”
अमित अपने दोनो हाथ से मेरी कमर थामे मुझे सांड की तरह चोद रहा था और मैं अपनी बाइक पर कोहिनयाँ टिकाये , झुका हुआ, चुदवा रहा था। अचानक अमित मेरे ऊपर पूरा लद गया। कमर छोड़ कर उसने मुझे कंधे से पकड़ लिया और अपना गाल मेरे गाल से सटा दिया और गपागप चोदे जा रहा था।
उसके थपेड़ों से मेरी मोटरसाइिकल भी हिलने लगी थी। मैंने पीछे मुड़ कर देखा, अमित की जीसं टखनों तक आ गई थी और उसकी चड्डी उसकी माँसल जाँघों में अटकी थी। उसकी छरहरी कमर मेरी कमर पर लदी हुई हिल रही थी।
खेतों में जमकर चुदाई की हिंदी गे सेक्स कहानी
“आशु अब मैं झड़ने वाला हु ” अमित चोदते हुए बोला और मुझे कस कर दबोच लिया ।
अगले ही पल अपना लौड़ा पूरा अंदर घुसेड़ कर रुक गया और वो भी ज़ोरदार सिसकारियां लेने लगा।
अहह… ह्ह्ह…”
वो मेरी गांड में खाली हो रहा था। करीब दो तीन मिनट तक वो यु ही मेरे ऊपर लदा रहा, फिर हट गया। वह उठा और अपने लण्ड साफ किया! हम दोनो ने झटपट अपनी जीसं चढ़ाई और वहाँ से निकल लिए । हम दोनों ठंड मे भी पसीने में भीगे थे!
अमित ने मुझे अगले दिन अपने गाँव आने के लिए कहा , जहाँ उसके कुछ दोस्त भी थे , और मैं वहां गया भी , कैसा रहा मेरा पहली बार उसके गाँव जाना ??, कहानी के अगले हिस्से मैं आपसे शेयर करूँगा ।
कहानी जारी रहेगी….!!
अभी मैं हरियाणा के यमुना नगर जिले में हूं. आपके पत्रों का इंतज़ार मुझे [email protected] पर रहेगा
आपका आशु