मेरी नई नौकर के साथ समलैंगिक यौन संबंध

नौकर के साथ समलैंगिक यौन संबंध

आज से चार साल पहले की बात है जब मेरी पोस्टिंग च्चपरा (बिहार स्टेट) में असिस्टेंट ब्रांच मॅनेजर, लाइफ इन्षुरेन्स कॉर्पोरेशन के पद पर हुई थी. मेरी आयु उस समाया पच्चीस वर्ष की थी और च्चपरा मेरे लिए बिल्कुल ही नया शहर था. मेरी शादी भी नहीं हुई थी इस लिए मैं बिल्कुल ही अकेला था.

च्चपरा में मेरा कोई दोस्त या रिश्तेदार भी नहीं था. इस लिए च्चपरा पहुँच कर मैं एक साधारण से होटेल में रुक गया और अपनी ड्यूटी जाय्न कर ली.

होटेल में तो बराबर मैं रह नहीं सकता था इस लिए होटेल में रहते हुए मैं मकान भी तलाश करता रहा. आख़िर पंद्रह दिन बाद मुझे एक अच्च्छा सा मकान मिल गया जिस में चार कमरे, दो कोठारी, दो लेट्रीन कम बातरूम और एक किचन था और एक सर्वेंट क्वॉर्टर भी उसके साथ था.

मकान मिलने के बाद मैं होटेल से उस मकान में शिफ्ट हो गया और अपना सब सामान भी उस में ले आया. मगर मकान में आने के बाद भी खाना बनाने वाला कोई नहीं था. इस लिए मैं किसी ना किसी होटेल में ही खाना खाता रहा और मैं चाहता था की कोई नौकर या नौकरानी मिल जाए जो खाना बना दे और घर के बाकी सारे काम कर दे.

मकान में आने के बाद मैं अपने मकान के आस पास रहने वाले लोगों से भी मिला और उन्हें बताया की मैं उनका नया पड़ोसी हूँ. उन सभी लोगों से मैने अपनी परेशानी बतलाई और उनसे भी कहा की अगर कोई नौकर या नौकरानी घर का काम करने को तैइय्यार हो तो उसे मेरे पास भेज दें. लोगों ने कहा की अकेले आदमी के यहाँ कोई नौकरानी तो काम करने के लिए तैइय्यार नहीं होगी पर नौकर शायद मिल जाए.

इसके एक हफ्ते के बाद एक दिन शाम को एक बाइस या तेईस बरस का लड़का मेरे यहाँ आया. वो देखने में काफ़ी अच्च्छा लग रहा था और कपड़े भी अच्च्चे पहने हुए था. उसने मुझ से पूंच्छा की क्या आप को किसी नौकर की ज़रूरत है. मैने कहा की मैं ऐसा नौकर चाहता हूँ जो घर का सब काम कर दे झाड़ू पोंच्छा लगा दे और खाना भी बना दे और बेज़ार से सामान भी ला दे.

वो बोला की मैं तैइय्यार हूँ. मैने कहा की तुम यह सब करो गे. तुम तो पढ़े हुए भी लगते हो. वो बोला की मैं ट्वेल्फ्त क्लास पास हूँ. इसके बाद पढ़ने में मान नहीं लगा इस लिए पढ़ाई छ्चोड़ दी और यही सब काम करता हूँ. जब घर से बाहर निकलता हूँ तो अच्च्चे कपड़े पहन लेता हूँ वैसे घर में तो वोही कपड़े पहनता हूँ जो आम नौकर पहनते हैं.

मैने पूंच्छा कितने रुपये लोगे तो उसने कहा की कम से कम च्छे सौ रुपये महीना और खाना और कपड़े और साथ में रहने की जगह. मुझे क्यों की नौकर की सख़्त ज़रूरत थी इस लिए मैं तैइय्यार हो गया. मैने कहा की रहने के लिए या तो सर्वेंट क्वॉर्टर में रह लो या एक कोठारी तुम्हें दे दें गे. इस पर वो काम करने के लिए तैइय्यार हो गया.

उसने अपना नाम रोहित बताया और उसने पूंच्छा की कब से काम पर आना है. मैने कहा की कल सुबह से ही काम पर आजाना. दूसरे दिन हू सुबह ही अपना सब सामान ले कर आ गया.

मैने उससे कहा की खाना बनाने के लिए गीयी, तेल, तरकारी, नमक, मिर्च, मसाले और अन्या सामान ले आए. उसे मैने रुपये दिए और वो सब सामान ले आया. उसने खाना बहुत ही अच्च्छा बनाया था. मैने उससे पूंच्छा की इतना अच्च्छा खाना बनाना तुमने कहाँ सीखा. उसने बताया की जिसके यहाँ वो पहले काम करता था उनकी मेमसाहिब ने उसे खाना बनाना सिखाया था.

मैने देखा की रोहित सब काम बड़े सलीके से और बहुत अच्च्छा करता है और मैने कई बार उसकी तारीफ़ भी की. मेरे यहाँ काम करने के करीब दो महीने बाद एक दिन रोहित मुझसे बोला: “साहिब अगर आप नाराज़ ना हों तो एक बात आपसे पूंच्छुन.” मैने कहा की बिना सुने मैं कैसे कहूँ की नाराज़ हो-ऊंगा की नहीं.

मेरी बात सुनकर रोहित बोला की साहिब आप पच्चीस साल के हो गये हैं क्या आप को सेक्स की इच्च्छा नहीं होती? मैने कहा की अगर इच्च्छा होती भी हो तो क्या करें? मेरे पास कोई लड़की तो है नहीं जिसके पास जेया कर सेक्स की इच्च्छा पूरी कर लें. इस पर रोहित बोला की साहिब जब लड़की नहीं होती है तो लोग लड़के से अपनी इच्च्छा पूरी कर लेते है. मैने कहा की मेरे पास लड़का भी तो नहीं है. इस पर रोहित बोला की मैं हूँ तो. मैने कहा की क्या तुम यह सब भी करते हो. मेरा मतलब है की क्या तुम दूसरों की सेक्स की इच्च्छा भी पूरी करते हो और किस तरह से मेरी इच्च्छा पूरी करना चाहते हो. उसने कहा की जिस तरह भी और जो भी आप मेरे साथ करना चाहें आप करें.

मैने रोहित से पूंच्छा की क्या तुम गांद भी मराते हो. उसने कहा की अपने साहिब के लिए मैं सब कुच्छ करता हूँ. गांद भी मारा लेता हूँ लंड भी चूस लेता हूँ सरका भी मार देता हूँ. मेरा साहिब जो भी चाहता है मैं कर ता हूँ. आप की जो भी इच्च्छा हो आप बताइए मैं वो पूरी करूँगा.

मैने कहा की मैं अपनी इच्च्छा तो बाद में बताऊँगा पहले तुम बताओ की तुमने सब से पहले किस से अपनी गांद मरवाई थी.

रोहित ने कहा की “मैं पहले एक मिस्टर. शर्मा के यहाँ काम करता था. वो और उनकी पत्नी दोनों ही जवान थे और उनके कोई बच्चा नहीं था. वो दोनों रोज़ ही छुदाई करते थे. अचानक उनकी पत्नी को एक महीने के लिए अपने मैके जाना पड़ा. पत्नी के बिना मिस्टर. शर्मा किसे छोड़ें? एक दिन मिस्टर. शर्मा ने मुझे बुलाया और बोले की एक काम करोगे? मैने पूंच्छा की क्या काम? इस पर मिस्टर. शर्मा बोले की जब तक मेरी बीवी नहीं आजाति तुम या तो मेरा लंड चूस लिया करो या अपनी गांद मुझसे मारालिया करो इस के लिए मैं तुम्हें अलग से पैसे दूँगा.

“मैने पूंच्छा की इस के लिए आप मुझे क्या दें गे? वो बोले लंड चूसने के लिए पच्चीस रुपये और गांद मराने के लिए पचास रुपये.

“मैने कहा की यह तो बहुत कम है. अगर आप पचास रुपये लंड चूसने के लिए और सौ रुपये गांद मराने के लिए दें तो मैं इस के लिए तैइय्यार हो सकता हूँ.

“मैं जानता था की मिस्टर. शर्मा बिना सेक्स के रह ही नहीं सकते इस लिए उन्हें मानना ही पड़ेगा और यही हुआ भी. मिस्टर. शर्मा बोले यह तो बहुत ज़्यादा है कुच्छ कम करो. मैने कहा की इस से कम में मैं तो नहीं करूँगा. आख़िर मिस्टर. शर्मा बोले ठीक है.

“फिर पहले दिन तो उन्हों ने अपना लंड मुझे छूसाया और मेरे मुँह में ही झार गये और पचास रुपये दे दिए. दूसरे दिन वो बोले की आज तो मैं गांद मारूँगा. मैने कहा की ठीक है पहले सौ रुपये दीजिए. उन्हों ने मुझे सौ रुपये दिए और कहा की अब पेट के बाल लेट जाओ. मेरे पेट के बाल लेट जाने के बाद उन्हों ने मेरी गांद में एक उंगली से वॅसलीन लगाई और फिर उंगली अच्च्ची तरह मेरी गांद में घुमाई उसके बाद दो उंगलियाँ अंदर डाल के घुमाईं. फिर अपने लंड में वॅसलीन लगा कर मेरी गांद में अपना लंड धीरे धीरे कर के घुसेर दिया और फिर अपना लंड गांद में अंदर बाहर करने लगे और थोरी देर में मेरी गांद में झार गये.

“फिर जीतने दिन उनकी पत्नी नहीं आईं वो रोज़ अपना लंड छूसा के मेरे मुँह में झार जाते या मेरी गांद मार कर मेरी गांद में झार जाते और इसके रुपये मुझे दे देते.

“मिस्टर. शर्मा से ही मैने सब से पहले अपनी गांद मरवाई थी. उन्हीं का लंड भी सबसे पहले मैने चूसा था.”

रोहित ने और कहा की: ” आप से पहले जो मेरे साहिब थे वो मिस्टर. डूबे थे. उन्हों ने शादी नहीं की थी. और वो भी मेरे साथ सेक्स का आनंद लेते थे. मगर उनका शौक दूसरा था. वो गांद मारने की जगह मुझसे अपनी गांद मराते थे और मेरा लंड भी अक्सर चूस्टे थे. हर बार रुपये देने के बदले वो मुझे साढ़े सात सौ रुपये हर महीने और देते थे “

मैने कहा की वो गांडू होंगे और उनका लंड भी नहीं खड़ा होता होगा.

इस पर रोहित बोला की: “शायद आप ठीक ही कह रहे हैं. वो अक्सर अपना सरका भी मुझ से मरवाते थे. जैसे ही उनके लंड में कडापन आता था वो मेरे हाथ ही में झार जाते थे.”

इस के बाद रोहित ने पूंच्छा की मेरे साथ आप क्या करना चाहें गे और रुपये हर बार देंगे या हर महीने च्छे सौ रुपये के अलावा.

मैने कहा की मैं गांडू तो हूँ नहीं ना मैं अपनी गांद तुमसे मर्वाऊन्गा और ना ही मैं तुम्हारा लंड चूसूंगा. अगर तुम कहो तो तुम्हारी गांद मार लिया करूँ और अपना लंड भी चुस्वा लिया करूँ. जहाँ तक रुपये देने की बात है मैं भी तुम्हें साढ़े सात सौ रुपये हर महीने च्छे सौ रुपये के अलावा तुम्हें दे दिया करूँगा.

रोहित ने कहा की ठीक है. फिर जीतने भी दिन मैं च्चपरा में रहा अक्सर ही उसकी गांद मारता रहा और उसे अपना लंड चुस्वाता रहा. कभी कभी हम दोनों साथ साथ एक दूसरे का सरका भी मार लेते थे.

जब मैं च्चपरा से जाने लगा तो मैने रोहित से साथ चलने के लिए कहा पर वो तैय्यर नहीं हुआ. उसने कहा की मुझे च्चपरा में आने वाले लोगों की सेवा करने दीजिए.

मैने कहा की चलो तुम्हें अपनी याद के लिए पंत और शर्ट खरीद दें जिस से मेरे जाने के बाद भी तुम मुझे याद करो. फिर मैं उसे बेज़ार ले गया और वहाँ उसे एक बढ़िया सी शर्ट और एक बढ़िया सी पंत खरीद डी जिसे लेकर वो बहुत खुश हुआ और बोला की आप को हमेशा याद रखूं गा.

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